यूपी में अगले साल चुनाव होने हैं और मुलायम के कुनबे में घमासान मचा हुआ है. मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते हुए शिवपाल यादव को कमान सौंप दी तो सीएम ने चाचा शिवपाल से आठ अहम विभाग वापस ले लिया. जब अखिलेश कैबिनेट से शिवपाल के इस्तीफे की अटकलें लगने लगीं तो उन्होंने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर साफ कर दिया कि वो नेताजी यानी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के आदेशों का पालन करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सपा में सिर्फ एक ही बॉस हैं और वो हैं नेताजी.
कुनबे में घमासान की खबरों से मचे बवाल पर सीएम अखिलेश यादव ने भी चुप्पी तोड़ी और कहा कि यह झगड़ा सरकार में है, परिवार में नहीं. अखिलेश ने भी कहा कि कुछ फैसले नेताजी के कहने पर लिए गए हैं, कुछ उन्होंने (सीएम ने) खुद लिए हैं. इस तरह शिवपाल की मनमानियों पर अंकुश लगाकर अखिलेश ने साफ संकेत दे दिया है कि वो खुद की छवि विकास की राह पर चलने वाले नेता की बनाना चाहते हैं जबकि पार्टी के अन्य नेता जाति आधारित राजनीति करते आए हैं. अखिलेश जनता के नेता हैं और वो पार्टी की इमेज खराब नहीं होने देना चाहते.
शिवपाल ने सैफई में बुधवार सुबह प्रेस कांफ्रेंस में पांच बड़ी बातें कहीं. इनके मायने क्या हैं, जानने की कोशिश करते हैं...
1. जो नेताजी निर्णय लेंगे, हम उसके साथ हैं.
पत्रकारों ने जब शिवपाल यादव से पूछा कि क्या वो अखिलेश कैबिनेट से इस्तीफा देने जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि पहले वो नेताजी से मिलेंगे और नेताजी जो निर्णय लेंगे, वो उसका पालन करेंगे. शिवपाल और अखिलेश के बीच चल रहा शीतयुद्ध जब सतह पर आ गया तो सपा मुखिया ने ही डैमेज कंट्रोल किया. मुलायम सिंह ने शिवपाल यादव की पत्नी को फोन कर भाई और बेटे के बीच सुलह कराने को कहा. शायद यह वजह है कि मंगलवार की घटना के बाद जो कयास लगाए जा रहे थे, उनपर शिवपाल ने विराम लगा दिया और कहा कि जैसा नेताजी कहेंगे, वैसा ही होगा.
2. सपा और नेताजी के साथ.
जब शिवपाल से पूछा गया कि 2017 का विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा तो उन्होंने इसपर चुप्पी साध ली. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता नेताजी और समाजवादी पार्टी के साथ है. शिवपाल और मुलायम जब एक मंच पर होते हैं तो माहौल काफी खुशनुमा दिखाई देता है लेकिन अखिलेश और शिवपाल के बीच की दूरियां हर सार्वजनिक मंच पर दिख जाती हैं.
3. मंत्रालय लेना सीएम का अधिकार है.
मुलायम कुनबे में यह घमासान काफी समय से चला आ रहा है. 2012 के चुनाव में सपा की जीत हुई तो मुलायम ने बेटे अखिलेश को सत्ता सौंप दी. उस वक्त शिवपाल खुद सीएम बनना चाहते थे. काफी मान-मनौव्वल के बाद शिवपाल मान तो गए लेकिन मीडिया के सामने आए तो उन्होंने साफ कर दिया कि नेताजी ही मुख्यमंत्री हैं. यानी अबतक राज्य सरकार की कैबिनेट में अहम विभागों के मुखिया रहे शिवपाल ने अखिलेश को कभी अपना सीएम माना ही नहीं.
4. बाकी मंत्रालयों से इस्तीफे पर नेताजी जो कहेंगे वो ही करेंगे.
करीब साढ़े चार पहले भी शिवपाल ने नेताजी के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई थी और आज भी अपनी उसी निष्ठा पर वो कायम हैं. साफ है कि शिवपाल जो कुछ भी कहते या करते हैं, उसमें मुलायम सिंह यादव की स्वीकृति होती है. या कहें तो शिवपाल अबतक न तो मुलायम के बिना चले हैं या आगे चलेंगे.
5. जनता की सेवा करेंगे और उनके साथ अन्याय नहीं होने दूंगा.
अब जब यूपी में चुनाव को महज 6 महीने बचे हैं, मुलायम सिंह ने संगठन की जिम्मेदारी अखिलेश से लेकर को दे दी है. सपा मुखिया को पता है कि चुनाव में उतरने से पहले संगठन की मजबूती जरूरी है. शिवपाल संगठन के नेता हैं और पार्टी को संगठित करने के लिए स्थानीय स्तर पर काम करते हैं.