केन्द्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के विशेष न्यायालय विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दो फरवरी को किया जाने वाला मौनव्रत स्थगित हो गया है, जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस आगामी दो फरवरी को अपने मौनव्रत पर कायम है.
मुख्यमंत्री सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, चूंकि केन्द्र सरकार द्वारा उक्त विधेयक को मंजूरी के लिये राष्ट्रपति को भेज दिया गया है, इसलिये अब मौनव्रत को कोई औचित्य नहीं रह जाता है.
इस विधेयक को मंजूरी में देरी को लेकर मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अलावा प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह तथा केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदांबरम से मुलाकात भी की थी.
उनका कहना था कि केन्द्र द्वारा बिहार सरकार के इसी प्रकार के विधेयक को मंजूरी दी जा चुकी है तो मध्य प्रदेश के विधेयक को मंजूरी क्यों नहीं प्रदान की गयी.
इस विधेयक में आय से अधिक सम्पत्ति रखने वालों लोकसेवकों की सम्पत्ति राजसात करने के लिये सरकार विशेष न्यायालय में आवेदन दे सकती है और अदालत मामले का फैसला होने तक सम्पत्ति को शासन के पास रखने का आदेश दे सकती है.
एक साल में अदालत का फैसला आने पर यदि फैसला आरोपी के पक्ष में आता है तो सम्पत्ति उसे वापस लौटा दी जायेगी अन्यथा सम्पत्ति शासन की हो जायेगी.
मुख्यमंत्री के मौनव्रत की घोषणा के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी राज्य सरकार की विफलताओं को उजागर करने के लिये प्रदेशव्यापी मौनव्रत आंदोलन की घोषणा की है. प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मानक अग्रवाल ने बताया कि कांग्रेस का प्रदेशव्यापी आंदोलन आगामी दो फरवरी को जिला स्तर पर होगा तथा कांग्रेसी महात्मा गांधी के प्रतिमा के सामने मौनव्रत धारण करेंगे तथा सभी स्थानों पर राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन संबंधित अधिकारियों को सौंपा जायेगा.
उन्होंने बताया कि ज्ञापन में मांग की जायेगी कि लोकायुक्त छोटे कर्मचारियों के साथ साथ बड़े अधिकारियों और मंत्रियों के यहां भी छापे डाले.