जम्मू कश्मीर के हालात पर जहां कांग्रेस ने सरकार को घेरने की कोशिश की है, तो वहीं सरकार में रहते हुए शिवसेना ने पाकिस्तान के साथ संबंध तोड़ने की बात तक कर डाली.
शिवसेना नेता संजय राउत ने राज्य सभा में बयान बयान दिया कि हम चाहते हैं पाकिस्तान के साथ चाय पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. इसके बजाये कश्मीर की जनता के साथ चाय पर चर्चा हो.
अशांति के लिए बीजेपी सरकार की नीतियां जिम्मेदार
संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना ये तमाम बाते कही हैं. राउत ने कहा कि साथ ही कश्मीर में सभी पार्टियों का डेलीगेशन जाना चाहिए. वहीं कांग्रेस ने कश्मीर घाटी में फैली अंशाति के लिए बीजेपी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया. साथ ही पाकिस्तान पर भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया.
कश्मीर के मौजूदा हालात पर आजाद जताया दुख
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने चर्चा के लिए नोटिस दिया हुआ था. चर्चा शुरू होते ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वर्तमान में कश्मीर की स्थिति बहुत खराब है. उन्हें दुख हो रहा है कि वहां की स्थिति देखने के बाद वह सदन में बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में पहले भी आतंकी मारे गए हैं, लेकिन ऐसे हालात कभी नहीं रहे. कश्मीर में 2008 से भी बुरे हालात हैं, 1990 में भी ऐसे हालात नहीं रहे.
सरकार पर कश्मीर के लोगों का भरोसा नहीं
उन्होंने कहा, 'कश्मीर के लोगों को सरकार पर भरोसा नहीं रह गया है. बीजेपी को कश्मीर में स्वीकृति मिलने में सालों लग जाएंगे. कश्मीर को लेकर मोदी सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'आप बंदूक के बल पर कश्मीर में शासन नहीं चला सकते.' प्रदर्शनकारियों के ऊपर ‘पैलेट गन’ यानी छर्रे वाली बंदूक चलाने पर आजाद ने सरकार से सवाल किया कि हरियाणा में दंगों के दौरान पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया गया लेकिन घाटी में विरोध-प्रदर्शन के दौरान धड़ल्ले से लोगों पर इसका प्रयोग किया गया.
कश्मीर घाटी की स्थिति बहुत ही गंभीर
आजाद ने कहा, 'हमारे लिए गौरव की बात है कि इंडोनेशिया के बाद सबसे अधिक मुसलमान भारत में हैं, क्या यह राष्ट्रभक्ति नहीं है. भारतीय मुसलमानों को राष्ट्रभक्ति का और कौन सा सबूत पेश करना होगा.' गुलाम नबी आजाद के बोलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से उसी समय जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि कश्मीर घाटी की स्थिति बहुत ही गंभीर है.
कश्मीर मसले पर दलगत राजनीति से ऊपर उठे
जेटली ने कहा, 'कश्मीर मसले पर हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखना चाहिए और देश की भलाई के बारे में सोचना चाहिए.' उन्होंने कहा कि कश्मीर में लड़ाई किन्हीं दो पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि देश बनाम अलगाववादियों के बीच की है. प्रदर्शनकारियों के ऊपर पैलेट गन चलाने पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जब विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाए और हर व्यक्ति सुरक्षा बलों पर जमकर पथराव करने लगे और जब हजारों की संख्या में लोग पुलिस चौकियों को जलाने लगे, तो स्वाभाविक है कि ऐसी घटनाएं करने वालो के खिलाफ कोई न कोई कड़ी कार्रवाई तो होगी ही.
कश्मीर के नौजवानों को बरगलाने की कोशिश
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जब सभी पार्टियों की चर्चा के बाद जवाब दिया, तो उन्होंने कहा कि कश्मीर के नौजवानों को कुछ ताकतें बरगलाने की कोशिश करती हैं और उन्हें आजादी की बात कहकर उकसाया जाता है. उन्होंने कहा कि कश्मीर में जनमत संग्रह का अब कोई महत्व नहीं है और यह अप्रासंगिक बात हो गई है. कश्मीर के नौजवान हमारे हैं और हम उन्हें सही रास्ते पर लाने की कोशिश करेंगे.
कम घातक हथियारों के प्रयोग का निर्देश
उन्होंने कहा कि मुसलमानों की चिंता भारतवासी करेंगे और हिंदू, सिख, ईसाई सब मिलकर उनके हितों की रक्षा करेंगे. राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में अत्यधिक बल प्रयोग का मामला समीक्षा का विषय हो सकता है और सुरक्षा बलों को कम से कम बल प्रयोग करने को कहा गया है. उन्हें कम घातक हथियारों प्रयोग के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बुलेट का प्रयोग उचित नहीं है. इसलिए कश्मीर में कम घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है, हालांकि पैलेट गन के प्रभाव को लेकर एक अध्ययन हुआ है और सरकार इस मामले को देख रही है.
केंद्र सरकार हर संभव मदद के लिए तैयार
उन्होंने कहा कि 2010 में पैलेट गन का प्रयोग पहली बार किया गया था, जिसमें 6 लोग मारे गए थे और 198 घायल हुए थे. हिंसक घटनाओं में जिन लोगों को गंभीर चोट आई है, सरकार उनका इलाज करने के लिए तैयार है. उनको विमान से घाटी से बाहर भी लाने का इंतजाम किया गया है. दवाओं समेत आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता के लिए केंद्र सरकार हर संभव मदद करेगी.
49 संपत्तियों को पहुंचाया गया नुकसान
गृहमंत्री ने कहा कि कश्मीर में हाल में 25 संपत्तियों में आग लगाई गई और 49 संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है. 36 आम लोगों की मौत हुई है और एक जवान भी शहीद हुआ है. कुल 1948 सामान्य नागरिक घायल हुए हैं, जिनमें 1744 को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. इन घटनाओं में 1671 सुरक्षा कर्मी भी घायल हुए हैं.