नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपने के बाद एनडीए का कुनबा छोटा हो गया है और अब शिवसेना ने बीजेपी को नसीहत दी है कि अकेले सत्ता में आना पार्टी के के लिए मुश्किल है, ऐसे में गठबंधन संभालना जरूरी है.
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में छपे एक लेख में बीजेपी को समझदार बनने की नसीहत दी गई है. साथ ही लाल कृष्ण आडवाणी के मार्गदर्शन पर ध्यान देने की बात पर जोर दिया है.
'मित्रों, सयाने बनो!' शीर्षक से छपे इस लेख में इशारों ही इशारों में अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने आने वाली दिक्कतों और पार्टी में आडवाणी की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
शिवसेना ने कहा, 'पिछले हफ्ते आडवाणी ने मार्गदर्शन दिया कि बीजेपी को नए मित्र जोड़ने की आवश्यकता है. आडवाणी ने जो कहा सच है. पर सवाल यह है कि बीजेपी नए मित्र लाए कहां से?'
मोदी को कमान सौंपे जाने पर शिवसेना ने कहा, '2014 के लोकसभा चुनाव के सूत्र नरेंद्र मोदी को सौंप दिए गए हैं. पर क्या बीजेपी अकेले अपने दम पर कांग्रेस को हरा पाएगी? यदि नहीं तो राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के नए मित्र कौन होंगे? यह घोषित होना चाहिए.'
बीजेपी को सलाह देते हुए शिवसेना ने कहा कि एनडीए की नींव मजबूत रखना है तो मित्र टिकाने पड़ेंगे. आडवाणी भी यही बात कर रहे हैं कि नए मित्रों को बाद में लिया जाएगा. मैत्री जब अबाध होती है तो नए मित्रों का कुनबा बढ़ता है. आज के जमाने में ना कोई किसी का मित्र है न कोई किसी का शत्रु. परिस्थिति के अनुसार मित्र और शत्रु बनते हैं.
लेख के अंत में कहा गया है कि जेडीयू के साथ जो दोस्ती टूट गई उसे फिर से नहीं जोड़ा जा सकता. क्योंकि टूटे हुए मोती को लाख लेप से नहीं जोड़ा जा सकता.