नागरिकता संशोधन कानून के बाद देश में पैदा हुए हालात और यूनिवर्सिटीज कैंपस में हो रही हिंसा पर चर्चा के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में शामिल होने के लिए तमाम विपक्षी दलों को न्योता दिया गया है, लेकिन कई दलों ने कांग्रेस की इस कोशिश को झटका दे दिया है. अब खबर ये है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने भी सोनिया गांधी की अगुवाई वाली इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
हालांकि, शिवसेना ने निमंत्रण न मिलने का हवाला दिया है. सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को दोपहर दो बजे पार्लियामेंट एनेक्सी में होने जा रही इस बैठक में शामिल होने के लिए शिवसेना को निमंत्रण ही नहीं दिया गया है. शिवसेना सूत्रों का कहना है कि उन्हें इस बैठक का न्योता नहीं मिला है, जिस कारण उनकी पार्टी इसमें शामिल नहीं हो रही है.
ये दल हो रहे हैं शामिल
इस बैठक में कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), समाजवादी पार्टी, आरजेडी, लेफ्ट, एयूडीएफ और अन्य दल हिस्सा ले रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना की सरकार चल रही है, जिसे कांग्रेस और एनसीपी दोनों का समर्थन हासिल है. बावजूद इसके 9 दिसंबर 2019 को जब लोकसभा में नागरिकता बिल पर वोटिंग का मौका आया तो शिवसेना ने कांग्रेस के खिलाफ जाकर मोदी सरकार का समर्थन किया. हालांकि, इसके बाद जब 11 दिसंबर को राज्यसभा में यह बिल लाया गया तो शिवसेना ने वॉकआउट कर दिया यानी यहां उसने बिल का समर्थन तो नहीं किया लेकिन विरोध में मतदान भी नहीं किया.
ममता-मायावती और केजरीवाल ने भी बनाई दूरी
कांग्रेस का साथ जहां सहयोगी शिवसेना ने ही छोड़ दिया है, वहीं राजनीतिक विरोधी तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी उसे झटका दिया है. टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों की इस बैठक से खुद को अलग कर लिया है तो राजस्थान में बीएसपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने की साजिश का आरोप लगाते हुए मायावती का दल भी बैठक में हिस्सा नहीं ले रहा है. दिल्ली में होने जा रहे चुनाव से ठीक पहले प्रमुख दल आम आदमी पार्टी ने भी अपनी प्रतिद्वंदी कांग्रेस की इस बैठक से दूरी बना ली है.