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तेलुगू देशम अब कभी भी NDA से तोड़ सकती है नाता, शिवसेना ने भी चलाए जुबानी तीर

एक तरफ बीजेपी के सहयोगी उससे छिटकते नजर आ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस इस स्थिति का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ती नजर आ रही.

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संजय राउत
संजय राउत

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राजनीति में कोई गठबंधन होता है तो सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना भी किसी आर्ट से कम नहीं होता. लेकिन एनडीए की अगुआई करने वाली बीजेपी इस आर्ट में चूकती नजर आ रही है. तेलुगू देशम पार्टी आंध्र के विशेष दर्जे की मांग को लेकर जहां बीजेपी से दोस्ती तोड़ने की कगार पर खड़ी नजर आ रही है, वहीं शिवसेना तो शायद ही कोई ऐसा मुद्दा बचता हो जिस पर बीजेपी को आइना दिखाती नजर नहीं आती.

एक तरफ बीजेपी के सहयोगी उससे छिटकते नजर आ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस इस स्थिति का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ती नजर आ रही. विपक्षी एकजुटता के लिए यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी 13 मार्च को ‘डिनर डिप्लोमेसी’ का जो दांव खेलने जा रही हैं, उसके लिए बीजेपी से नाराज चल रहे उसके कुछ सहयोगियों को भी न्योता दिया जा सकता है.    

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बहरहाल, बीजेपी के अहम सहयोगियों में सिर्फ अकाली दल ही उसके साथ मजबूती से खड़ा नजर आता है. हालांकि अकाली दल बादल की ओर से ही संचालित दिल्ली सिख गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके हाल ही में खुले तौर पर मोदी सरकार पर निशाना साध चुके हैं. उन्होंने तल्ख शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की हालिया भारत यात्रा के दौरान उनके साथ किए गए ठंडे व्यवहार को लेकर नाराजगी जताई थी.

फिलहाल बीजेपी के सहयोगियों में सबसे कड़े तेवर तेलुगू देशम ने अपना रखे हैं. तेलुगू देशम आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की अपनी मांग को जहां ‘करो या मरो’ की लड़ाई बता रहा है, वहीं केंद्र की ओर से भी साफ संकेत दिए जा चुके हैं कि आंध्र को विशेष दर्जा देने की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता.   

टीडीपी सांसद थोटा नरसिम्हन ने कहा, ‘जहां तक हमारी मांगों का सवाल है केंद्र सरकार की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. एक भी बिंदु पर उन्होंने प्रतिक्रिया नहीं दी है. हम विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है. विजयवाड़ा में अधिकतर विधायकों और मंत्रियों ने सीएम चंद्रबाबू नायडू को अपने विचारों से अवगत करा दिया है कि बीजेपी से नाता तोड़ लिया जाए. इस पर सीएम विचार कर रहे हैं.’  

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टीडीपी सांसदों की कोशिश है कि राज्य के साथ ही संसद में आंध्र को विशेष दर्जा देने की मांग पूरे जोरशोर से सुनी जाए. बुधवार को टीडीपी सांसदों ने संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया. संसद के दोनों सदनों में भी उन्होंने इसी मुद्दे पर नारेबाजी की. हंगामे की वजह से ही दोनों सदनों की बैठक को स्थगित करना पड़ा.

टीडीपी सांसद निम्माला कृष्णप्पा ने कहा, ‘हम अपनी तरफ से आंध्र के लिए फंड हासिल करने की हर मुमकिन स्तर पर कोशिश कर रहे हैं लेकिन बीजेपी अड़ी हुई है. पार्टी में ऐसी राय है कि अगर हम एनडीए में बने रहते हैं तो लोग हमें गलत समझेंगे. इसलिए हमें उसके साथ संबंध तोड़ देने चाहिए. लेकिन इस मुद्दे पर अंतिम फैसला सीएम चंद्रबाबू नायडू ही लेंगे.’

जहां तेलुगू देशम ने सख्त तेवर अपना रखे हैं, वहीं एनडीए के एक और सहयोगी दल शिवसेना की ओर से भी बीजेपी और मोदी सरकार पर जुबानी तीर चलाने में कोई कमी नजर नहीं आ रही है.

शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि देश में जिस थर्ड फ्रंट की बात की जा रही है, शिवसेना उसके चक्कर में कहीं नहीं है. राउत के मुताबिक शिवसेना का स्टैंड साफ है कि हम अलग चुनाव लड़ेंगे. राउत ने कहा, ‘हमने ये कभी नहीं बोला कि हम नाराज हैं. हम कभी रोते नहीं, हमको ये नहीं दिया, हमको वो नहीं दिया. हम राज्य के लिए फंड की मांग नहीं करते. हमारी विचारधारा की लड़ाई है. हमें लगता है कि हमारी आपके साथ नहीं जमेगी.’

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राउत ने कहा, ‘शिवसेना आखिर शिवसेना है, इसकी दूसरे दलों से तुलना नहीं की जाए. हालांकि बीजेपी की ओर से सहयोगी दलों के साथ ठीक बर्ताव नहीं किए जाने की बात शिवसेना ने ही सबसे पहले उठाई थी.’

राउत ने कहा, ‘जो एनडीए था, वो अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने में था. कहने को आज भी एनडीए के नाम पर 20-25 कुर्सियां भरी होती हैं. लेकिन उसमें कौन होते हैं. एक मेंबर वाले, दो मेंबर वाले दल होते हैं. जैसे जैसे माहौल बदलता जाएगा, आपको समझ आता जाएगा कि असली कौन है, नकली कौन है.’  

राउत ने दोहराया कि बीजेपी का अपने सहयोगियों, दोस्तों के साथ बर्ताव ठीक नहीं है. राउत ने कहा, ‘किसी को अगर लगता है कि उन्हें हमारी जरूरत नहीं है तो हम उसके दरवाजे पर नहीं जाएंगे. हम अपनी राजनीति करेंगे.’

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने भी बीजेपी पर अपने सहयोगियों का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया. सावंत ने कहा, ‘टीडीपी को अब ये अहसास हो रहा है. हमें तो ये कहते हुए अब बहुत समय हो गया है. बीजेपी ‘सबका साथ’ सिर्फ  कहती ही है लेकिन नीतियों पर फैसला लेते वक्त ‘सबका साथ’ भूल जाती है. उन्हें दूसरों से सलाह लेने के बाद सर्वसम्मति से फैसले लेने चाहिए लेकिन वे ऐसा नहीं करते.’

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जहां तक तेलुगू देशम की नाराजगी का सवाल है तो कांग्रेस की भी पूरे घटनाक्रम पर नजर है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के नेता तेलुगू देशम के नेताओं से संपर्क साध रहे हैं. कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रेणुका चौधरी ने कहा, ‘ये लोग (बीजेपी) कभी अपने सहयोगियों के साथ खड़े नहीं होंगे. ये अच्छी बात है कि उन्हें (टीडीपी) अब बीजेपी की असली फितरत का पता चल गया है.’

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