कश्मीरी अलगववादियों, नक्सलियों और खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले लोगों के कार्यक्रम में हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी पर जूता फेंका गया. इस कार्य्रकम के दौरान कश्मीरी पंडित समेत कुछ लोग गिलानी की मौजूदगी का विरोध कर रहे थे.
एलटीजी सभागार में ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारे लगा रहे प्रदर्शनकारियों ने ‘आजादी..द ऑनली वे’ के सम्मेलन में प्रदर्शन किया जिसमें कश्मीरी अलगाववादियों और नक्सलियों के अनेक समर्थक मौजूद थे.
जैसे ही गिलानी बोलने के लिए तैयार हुए तो करीब 70 प्रदर्शनकारियों ने उन्हें वहां से जाने के लिए कहते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. इसी शोर.शराबे में किसी ने मंच पर बैठे गिलानी पर जूता फेंका लेकिन जूता उन्हें नहीं लगा.
इसके तुरंत बाद सुरक्षाकर्मियों और आयोजकों ने मंच पर बैठे नेताओं की हिफाजत के लिए मानव श्रृंखला बनाकर मंच को घेर लिया. पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को बाहर निकाला. प्रदर्शनकारियों को बाहर निकाले जाने के दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गया था लेकिन गिलानी चुप रहे और कभी कभी मुस्करा रहे थे.
जाने माने नक्सल समर्थक वारा वारा राव जब बोल रहे थे तब भी सभागार में मौजूद लोगों ने उनकी उस टिप्पणी का विरोध किया जिसमें उन्होंने माओवादियों और पत्थर फेंकने वाले कश्मीरी युवकों के साथ एकजुटता दिखाने की बात कही.{mospagebreak}
स्थिति उस समय और भी तनावपूर्ण हो गई जब लेखिका अरूंधती राय ने बोलना शुरू किया. राय ने कहा कि भारत एक खोखला सुपर पावर है जहां बड़ी संख्या में लोगों की आय 20 रूपये से कम है. बहरहाल, सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों की जहां शनिवार को कश्मीर दौरा करने की योजना है, वहीं हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने इस कदम को ‘धोखा’ करार दिया और कहा कि उनका घाटी में बहिष्कार होना चाहिये.
गिलानी ने ‘आजादी-एकमात्र रास्ता’ विषयक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘जब तक मेरे पांच सूत्री सुझावों को नहीं माना जाता तब तक बातचीत संभव नहीं है.’ इस सम्मेलन में उनके साथ कई अलगाववादी नेता, नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग और खालिस्तान समर्थक मौजूद थे.
गिलानी ने कहा, ‘आज यह कहा गया कि वार्ताकार आयेंगे और एक वर्ष में राज्य के कई लोगों से मुलाकात करेंगे ताकि यह समझा जा सके कि लोग आखिर क्या चाहते हैं. यह एक धोखा है. यह टालने की एक कोशिश है ताकि लोग सब कुछ भूल जायें.’ उन्होंने जोर दिया कि कश्मीर एक आंतरिक नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है और वार्ताकारों का बहिष्कार होना चाहिये.