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शोपियां गोलीबारी की घटना में मेजर आदित्य का केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किया बचाव

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस साल 27 जनवरी को दक्षिण कश्मीर के शोपियां के गानोपोरा गांव में सेना की गाड़ियों के काफिले पर भारी पथराव के बाद ये घटना हुई. घटना को लेकर शोपियां पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज है. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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जम्मू और कश्मीर के शोपियां में गोलीबारी की घटना में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मेजर आदित्य और ‘10 गढ़वाल राइफल्स’ के जवानों का बचाव किया है. इस घटना में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी और एक घायल हुआ था.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने बुधवार को राज्यसभा में सांसद अमर सिंह के सवाल के जवाब में बताया, ‘भारतीय सेना के जवानों ने अत्यधिक संयम का परिचय दिया और गोली चलाने से पहले भीड़ को कई बार तितर- बितर होने के लिए चेतावनी दी.’

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस साल 27 जनवरी को दक्षिण कश्मीर के शोपियां के गानोपोरा गांव में सेना की गाड़ियों के काफिले पर भारी पथराव के बाद ये घटना हुई. घटना को लेकर शोपियां पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज है.   

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गृह मंत्रालय का ये बयान सुप्रीम कोर्ट की ओर से शोपियां घटना पर जम्मू और कश्मीर सरकार की जांच पर रोक लगाए जाने के दो दिन बाद आया है. राज्य सरकार के इस आग्रह को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना कि घटना को लेकर सेना के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच करने की अनुमति दी जाए.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 5 मार्च को राज्य सरकार को 24 अप्रैल तक अपनी जांच पर रोक लगाने का आदेश दिया था, उसी दिन कोर्ट की ओर से इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा. चीफ जस्टिस ने कहा था, आखिरकार ये सेना के एक अधिकारी से जुड़ा मामला है.

पुलिस ने मेजर आदित्य कुमार और उनकी 10 गढ़वाल राइफल यूनिट पर शोपियां में हत्या, हत्या की कोशिश और नागरिकों की जान खतरे में डालने के आरोप में केस दर्ज किया था. जम्मू और कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार है. इसी घटना में एफआईआई को लेकर पीडीपी और बीजेपी के बीच खींचतान भी देखने को मिली थी.

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