भारतीय जनता पार्टी की नवगठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बारे में नाराजगीपूर्ण टिप्पणी से उठे विवाद को पीछे छोड़ते हुए प्रतिष्ठित सिने अभिनेता और पटना साहब लोकसभा सीट से पार्टी सांसद शत्रुघन सिन्हा ने पार्टी को अपने गृहराज्य बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी है.
पार्टी के स्टार प्रचारकों में शुमार सिन्हा ने मंगलवार को एक अनौपचारिक बातचीत में पार्टी के नये अध्यक्ष नितिन गडकरी को अपना छोटा भाई बताते हुए कहा कि 'राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मुद्दे पर मुझे जो भी कहना था, वह मैं पार्टी के अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी एवं प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से कह चुका हूं और इस सवाल पर मुझे अब आगे और कुछ नहीं कहना है.'
साथ ही सिन्हा ने जोर देते हुए कहा कि अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति में उन्होंने किसी भी तरीके से पार्टी का अनुशासन नहीं तोड़ा है. अपने पुत्र लव सिन्हा की पहली फिल्म 'सदियां' के प्रमोशन के सिलसिले में लखनऊ आये सिन्हा ने कहा कि बिहार विधानसभा के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले पार्टी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और गुटबाजी समाप्त करके सशक्त और एकजुट होकर सामने आना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'इस चुनावी वर्ष में पार्टी के लिये जरूरी है कि वह सांगठनिक दृष्टि से अपनी सभी समस्याओं को सुलझाए और हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा करे.' सिन्हा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रसंशा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन परिणाम अनुकूल न रहने से यह अंदेशा स्वाभाविक है कि कहीं कुछ कमी है.
उन्होंने 'बिहार शाइनिंग' के बदले 'बिहार राइजिंग' का नारा देते हुए कहा कि बिहार राइजिंग बेहतर नारा है, कारण कि राज्य के लोगों की अभी बहुत सी समस्याओं का समाधान बाकी है. यह कहते हुए कि ‘मुझे न तो बिहार दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया और न ही मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में, ‘सिन्हा ने अपने खास और मजाकिया अंदाज में कहा कि लगता है कि कुछ लोग मेरी लोकप्रियता से घबराते हैं.
पार्टी के नये अध्यक्ष नितिन गडकरी की नयी कार्यकारिणी पर उनके बयानों से उठे विवाद पर सिन्हा ने कहा कि उनकी मंशा सिर्फ इतनी थी कि समर्थ और काबिल लोगों को उनकी जायज जगह मिलनी चाहिए और उनके उपर अक्षम लोगों को प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए.
उन्होंने सवालों के जवाब में कहा कि वरिष्ठ राजनेता अटल बिहारी बाजपेयी के सन्यास और कुछ अन्य कारणों से पार्टी के शीर्ष पर शून्यता की स्थिति बन गयी है. महिला आरक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ लेने की नीयत से कुछ लोगों ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग में रंग दिया है. उन्होंने कहा कि ‘महिला आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विचारों में भेद स्वाभाविक है लेकिन सभी दलों की बैठक बुलाकर एक आम राय बनाने की कोशिश होनी चाहिए.
सहयोगी पार्टी जनता दल (यू) में महिला आरक्षण के सवाल पर उभरी अलग-अलग आवाजों के बारे में सिन्हा ने कहा कि यह अच्छा नहीं है, क्योंकि इससे पार्टी के भीतर विभाजन की चर्चा उठना स्वाभाविक है.