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विरोधी नजरिये की अनदेखी नहीं करनी चाहिए: मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि यदि राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करना है तो विरोधी नजरियों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि यदि राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करना है तो विरोधी नजरियों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा लिखी पुस्तक ‘कीपिंग दि फेथ’ जारी करते हुए सिंह ने कहा, ‘हमने आर्थिक और सुरक्षा मोर्चे पर गंभीर चुनौतियों का मुकाबला किया और उसके बाद मजबूत बनकर उभरे.’ उन्होंने कहा, ‘यदि हमें अपने समक्ष मौजूद चुनौतियों और अवसरों के बारे में बडा सोचना है और बेबाक सोचना है तो हम विरोधी नजरिये की अनदेखी कर ऐसा नहीं कर सकते.’ उन्होंने कहा कि विकास की प्रक्रिया में तनावों को हल करने का तरीका देश के पास होना चाहिए और ऐसा कर आगे बढते रहना चाहिए.

प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी परमाणु दायित्व विधेयक सहित विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक दलों के बीच मतभेदों के परिप्रेक्ष्य में आयी है.

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उन्होंने कहा कि देश अपने जोरदार ढंग से काम कर रहे लोकतंत्र के कारण इन गंभीर चुनौतियों से उबरा है और इन समस्याओं का समाधान हमारे लोगों की रचनात्मकता और कल्पना से परे नहीं है.

सिंह ने कहा कि भारतीय राजनीति के समक्ष इस समय एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि संसद के कामकाज को अधिक प्रभावशाली और सार्थक कैसे बनाया जाए.

चटर्जी ने अपनी किताब में माकपा महासचिव प्रकाश कारात की आलोचना करते हुए कहा है कि मौजूदा नेतृत्व की विध्वंसकारी नीतियों और दिशाहीन कायो’ से 2009 के आम चुनाव में पार्टी की बुरी हार हुई.{mospagebreak} उन्होंने हालांकि अपने संबोधन में पार्टी का धन्यवाद करते हुए कहा कि माकपा ने उन्हें 11 बार लोकसभा के लिए उम्मीदवार बनाया और यह अपने आप में रिकार्ड है.

चटर्जी ने कहा, ‘‘ बाद में उन्होंने (माकपा ने) सोचा कि मैं उनके लिए बेकार हो गया हूं. वह मेरे जीवन का काफी खराब दिन था.’ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने माकपा से अपने निष्कासन पर कभी सवाल नहीं उठाया और न ही फैसले पर पुनर्विचार की अपील की.

चटर्जी के लंबे और प्रतिष्ठित राजनीतिक जीवन के सबसे अच्छे समय को उनके लोकसभा अध्यक्ष के कार्यकाल को बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चटर्जी ने पार्टी और विचारधारा से उपर उठकर वही किया, जो उन्होंने सही समझा.

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सिंह ने कहा कि संसद में अगर बहस की गरमा गरमी होती है तो पार्टी विचारधारा से उपर उठकर नेताओं के व्यक्तिगत संबंधों की गर्मजोशी भी होती है और यही भारतीय लोकतंत्र की वास्तविक ताकत है.

इस मौके पर वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि चटर्जी ने चुनौतीपूर्ण समय में 14वीं लोकसभा की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा, ‘चटर्जी ने बिना किसी भय या पक्षपात से कार्य किया और सार्वजनिक जीवन के उत्कृष्ट मानदंड स्थापित किये.’ चटर्जी ने लोकसभा टीवी के जरिए सदनकी कार्यवाही का सीधा प्रसारण करवा संसदीय कामकाज में पारदर्शिता रखी.{mospagebreak}

पुस्तक में चटर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत से लेकर बाद के सफर का उल्लेख किया है. उन्होंने आपातकाल के काले दिनों की भी याद की है.

इस मौके पर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यसभा के उप सभापति के रहमान खान, प्रधानमंत्री की पत्नी गुरशरण कौर, चटर्जी की पत्नी रेणु और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड भी मौजूद थे. किसी वाम दल का कोई भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था.

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