कांग्रेस ने पिछले महीने श्री श्री रविशंकर को सरकार का एक एजेंट करार दिया था, जो अयोध्या विवाद में इसके हितों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय ने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि एक समझौता संभव है, लेकिन उन्होंने पूछा कि किसने 'आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन' प्रमुख जैसे लोगों को इस काम के लिए नियुक्त किया.
सरकार से नहीं लेना-देना
श्री श्री पर यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि वो सरकार के एजेंट के तौर पर बातचीत का काम कर रहे हैं. इस पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर- बाबरी मस्जिद विवाद का बातचीत से हल निकालने की कोशिश में लगे श्री श्री रविशंकर का सरकार से कोई लेना देना नहीं है.
बातचीत से ना निकला हल तो...
नकवी ने कहा कि न तो सरकार ने रविशंकर को बातचीत के लिए नियुक्त किया है और न ही सरकार किसी भी तरह से इस बातचीत में शामिल है. लेकिन अगर बातचीत से इस पेचीदा मामले का हल निकालने की कोशिश की जा रही है तो इसका स्वागत होना चाहिए. नकवी ने कहा कि बातचीत की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या रविशंकर इस विवाद से जुडे़ मुख्य पार्टियों को बातचीत के लिए रजामंद कर पाते हैं या नहीं. लेकिन अगर बातचीत से हल नहीं निकला तो फिर कोर्ट ही एकमात्र रास्ता बचता है.
कांग्रेस ने लगाया था ये आरोप
दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने ये आरोप लगाया है कि रविशंकर सरकार के एजेंट की तरह से काम कर रहे हैं और उन्हें किसी ने इस अहम मसले पर बातचीत के लिए अधिकृत नहीं किया है. असद्दुदिन औवेसी ने भी रविशंकर के इस मामले में हस्तक्षेप करने पर सवाल उठाया था और कहा था कि उन्हें इस मामले में नहीं पड़ना चाहिए. लेकिन इन विवादों का जवाब देते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि उन्हें इस मामले पर बातचीत करने के लिए किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है.
अयोध्या के लिए रवाना हुए श्री श्री
सोमवार को दिल्ली में अयोध्या मामले से सीधे या परोक्ष रूप से जुडे़ कई लोगों से मुलाकात करने के बाद श्री रविशंकर मंगलवार को दिल्ली से लखनऊ और अयोध्या के लिए रवाना हो गए. वो बुधवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुस्लिम प्रतिनिधियों से मिलने के बाद 16 तारीख को अयोध्या जाएंगे और संबंधित पक्ष के लोगों से मिलेंगे. अयोध्या में उनकी मुलाकात पर सबकी नजरें लगी हुई हैं.