शुंगलू समिति ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्त प्रमुख सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों की यह कहते हुए खिंचाई की है कि शीर्ष पर सत्ता का बहुत अधिक केन्द्रीकरण हो चुका था और समिति के अधिकारियों के बीच हितों का टकराव था."/> शुंगलू समिति ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्त प्रमुख सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों की यह कहते हुए खिंचाई की है कि शीर्ष पर सत्ता का बहुत अधिक केन्द्रीकरण हो चुका था और समिति के अधिकारियों के बीच हितों का टकराव था."/> शुंगलू समिति ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्त प्रमुख सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों की यह कहते हुए खिंचाई की है कि शीर्ष पर सत्ता का बहुत अधिक केन्द्रीकरण हो चुका था और समिति के अधिकारियों के बीच हितों का टकराव था."/>
शुंगलू समिति ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्त प्रमुख सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों की यह कहते हुए खिंचाई की है कि शीर्ष पर सत्ता का बहुत अधिक केन्द्रीकरण हो चुका था और समिति के अधिकारियों के बीच हितों का टकराव था.
पूर्व महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक वी के शुंगलू की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में परियोजनाओं को लागू करने में 1600 करोड़ रुपए का चूना लगाने के लिए कई सरकारी एजेंसियों को भी लताड़ा है.
राष्ट्रमंडल खेल के आयोजन के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच करने वाली इस समिति ने कहा है कि आयोजन समिति 500 सदस्यों वाली भारी भरकम आमसभा और कार्यकारी बोर्ड में चापलूसी के कारण शासन की समस्याओं से घिरी थी.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘आयोजन समिति अध्यक्ष का पर्याय थी. शीर्ष पर सत्ता के अत्यधिक केन्द्रीकरण से निर्णय लेने की प्रक्रिया अध्यक्ष के हाथों और उनके निष्ठावान वरिष्ठ प्रबंधन मंडली में सीमित थी.’
आयोजन समिति ने प्रतिस्पर्धा और प्रशिक्षण स्थलों के नामों को अंतिम रूप दिसंबर 2005 में दिया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘तैयारी और स्थानों को अंतिम रूप देने में देरी हुई. जिसके कारण अनेक खेल आयोजन स्थलों पर काम सौंपने और शुरू होने की प्रक्रिया में काफी देरी हुई.’ रिपोर्ट कहती है, ‘इस तरह परियोजना लागत में अत्यधिक वृद्धि (पांच से 10 प्रतिशत) को स्वीकार करने तथा बहुत ऊंची निविदाओं को स्वीकार करने पर मजबूर होना पड़ा, फिर भी एक भी खेल स्थल समय पर पूरा नहीं हुआ.’
पूर्व नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक वी.के. शुंगलू की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति ने सीपीडब्ल्यूडी, डीडीए, एनडीएमसी, पीडब्ल्यूडी, राइट्स या इंजीनियर्स इंडिया लि. की तरफ से प्रक्रियागत उल्लंघनों की ओर इशारा किया.
{mospagebreak} समिति ने गृह मंत्रालय द्वारा रामजस कॉलेज, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, किरोड़ी मल कॉलेज, दौलत राम कॉलेज, पोलो ग्राउंड, दिल्ली पब्लिक स्कूल आर.के. पुरम, जामिया मिलिया स्पोर्ट्स कांप्लैक्स, साकेत स्पोर्ट्स कांप्लैक्स, शिवाजी स्टेडियम और छत्रशाल स्टेडियम में सुरक्षा व्यवस्था पर खर्च किये गये 30 करोड़ रुपये पर भी आपत्ति जताई.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘गृह मंत्रालय ने 14 प्रशिक्षण स्थलों पर आधुनिक कैमरों और अन्य सुरक्षा उपकरण लगाने पर 30 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला क्यों लिया जबकि वहां बड़ी संख्या में दर्शकों के पहुंचने की उम्मीद नहीं थी.’ समिति ने कहा, ‘खेल अवधि के दौरान खतरे की चेतावनी पर अन्य कम खर्चीले तरीकों से निपटा जा सकता था.’ समिति ने जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम और शिवाजी स्टेडियम में प्रति कुर्सी पर किये गये खर्च पर भी सवाल उठाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘संबंधित सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारी सरकार से लूट की इस प्रक्रिया के लिए प्रथमदृष्टया दोषी हैं.’ तालकटोरा स्टेडियम में कथित अनियमितताओं का हवाला देते हुए समिति ने कहा, ‘एक अयोग्य प्रतिष्ठान को सलाहकार नियुक्त किया गया और निर्माण कार्य का ठेका एकल निविदा आधार पर सिंप्लैक्स को दे दिया गया.’
समिति ने आर के खन्ना टेनिस स्टेडियम में पुनर्निर्माण कार्य के लिए आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष तथा अखिल भारतीय टेनिस संघ के महासचिव अनिल खन्ना पर उंगलि उठाई है.
रिपोर्ट में एनडीएमसी के अध्यक्ष, सीपीडब्ल्यूडी के महानिदेशक, दिल्ली विकास प्राधिकरण तथा इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों समेत उच्च पदाधिकारियों की तरफ से आपराधिक कृत्यों और प्रबंधकीय खामियों के साक्ष्यों का भी हवाला दिया है. समिति ने सिफारिश की है कि सभी खेल स्थलों को खिलाड़ियों के उपयोग के लिए खोला जाना चाहिए.