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कोलकाता की यूनिवर्सिटी में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की नेम-प्लेट पर कालिख पोती गई

यूनिवर्सिटी की कुलपति अनुराधा लोहिया ने कहा, 'हमें आज सुबह ही इस घटना का पता चला. एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में इस तरह की घटना होने से हम बहुत व्यथित हैं. यह बहुत ही शर्मनाक है. जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, हम उनका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.'

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अज्ञात लोगों ने नेम प्लेट पर पोती कालिख
अज्ञात लोगों ने नेम प्लेट पर पोती कालिख

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कोलकाता के प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी के परिसर में भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम की पट्टिका पर कुछ अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर कालिख पोत दी.

यूनिवर्सिटी की एलुमनाई लिस्ट में अनेक प्रसिद्ध भूतपूर्व छात्रों के नाम लिखे हुए हैं, लेकिन अज्ञात लोगों ने मुखर्जी के नाम पर कालिख पोत दी. यूनिवर्सिटी प्रशासन के संज्ञान में सोमवार सुबह ये मामला सामने आया. तत्काल पुलिस को सूचना दी गई.

यूनिवर्सिटी की कुलपति अनुराधा लोहिया ने कहा, 'हमें आज सुबह ही इस घटना का पता चला. एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में इस तरह की घटना होने से हम बहुत व्यथित हैं. यह बहुत ही शर्मनाक है. जो भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, हम उनका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.'

बता दें कि इस महीने के शुरू में भी कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया था. अतिवादी लेफ्ट संगठन 'रेडिकल' के कार्यकर्ताओं ने तब कोलकाता के केओराताला शवदाहगृह में लगी श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को निशाना बनाया था.

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उस वक्त उन्होंने हाथों में पोस्टर ले रखे थे जिनमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 'हिन्दुत्व फासीवाद' का जनक बताया गया था, जिस जगह यह घटना हुई, वहां से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कालीघाट स्थित आवास कुछ ही दूरी पर स्थित है.

बीते शनिवार को बर्दवान जिले में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा पर काली स्याही फेंकी गई थी. बता दें कि इस तरह की घटनाओं की शुरुआत त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद साम्यवाद की पहचान रहे व्लादिमीर लेनिन की प्रतिमा को गिरा देने के बाद शुरू हुई थीं.

त्रिपुरा मे लेनिन की प्रतिमा को गिराए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगाह किया था कि इस तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ममता बनर्जी ने बांकुरा में रैली में कहा था, 'मैं लेनिन की प्रतिमा गिराए जाने को बर्दाश्त नहीं करूंगी. सीपीएम बेशक हमारी विरोधी पार्टी है और लेनिन हमारे नेता नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मार्क्स और लेनिन की प्रतिमाओं को गिराए जाने की घटनाओं को मैं बर्दाश्त कर लूं.'

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