संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने दावा किया है कि लद्दाख में पिछले 20 साल में सियाचिन ग्लेशियर लगभग 800 मीटर कम हो गया है और क्षेत्र में उसे सैन्य गतिविधियों से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना करना पड़ रहा है.
ग्लेशियर का पिघलना खतरे की घंटी
यूएनडीपी इंडियाज सॉल्यूशंस एक्सचेंज विंग के बंसी लाल कौल ने अपनी पुस्तक ‘बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन इन हिमालयाज’ में लिखा है कि ग्लेश्यिर का पिघलना सियाचिन के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है.
सामरिक दृष्टिकोण है महत्वपूर्ण है सियाचिन
देश की सुरक्षा जरूरतों के चलते सियाचिन सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां हर समय सैनिक तैनात रहते हैं यहां तक कि सर्दियों के दौरान तापमान के शून्य से 50 से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे चले जाने के दौरान भी. कौल ने 326 पृष्ठ की अपनी किताब में लिखा है कि यह दुर्भाग्य है कि 1988 से लेकर 2008 की अवधि के दौरान सियाचिन ग्लेश्यिर 800 मीटर से अधिक कम हो चुका है.