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केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने लेख लिखकर नरेंद्र मोदी के भाषण में दिए हर तर्क को खारिज किया

के हर तर्क को खारिज किया है. एक इंग्लिश न्यूजपेपर के लिए लिखे इस लेख में सिब्बल कहते हैं कि मोदी ड्राइवर और पपी की बात कर रहे हैं, खुद को हिंदू बता रहे हैं. मगर एक अच्छा हिंदू ऐसी हालत में लापरवाही बरतने वाले ड्राइवर को नौकरी से निकाल देता.

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कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

केंद्रीय संचार और आईटी मंत्री कपिल सिब्बल ने एक लेख के जरिए बीजेपी नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के हर तर्क को खारिज किया है. एक इंग्लिश न्यूजपेपर के लिए लिखे इस लेख में सिब्बल कहते हैं कि मोदी ड्राइवर और पपी की बात कर रहे हैं, खुद को हिंदू बता रहे हैं. मगर एक अच्छा हिंदू ऐसी हालत में लापरवाही बरतने वाले ड्राइवर को नौकरी से निकाल देता.

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इस लेख में सिब्बल ने कई बार कुतर्क भी बरते हैं. मगर उन पर बात करने से पहले देखते हैं कि सिब्बल ने आखिर वाया मोदी किसकी वकालत की और किसे कैसे गुनहगार ठहराया.

केस नंबर 1 पपी, ड्राइवर और पीछे की सीट

मोदी ने कहा था कि ‘मैं इंसान हूं. अगर कोई और भी कार चला रहा है और मैं पीछे बैठा हूं, और ऐसे में कोई पपी कार के नीचे आकर मर जाए, तब भी मुझे दुखी होगा.’ इस पर सिब्बल का कहना है कि पपी दो ही हालत में मर सकता है. पहला, वह सड़क पर आ गया और धोखे से कार उसके ऊपर चढ़ गई. ऐसे में न तो ड्राइवर और न ही पीछे बैठा शख्स गुनहगार होगा.

दूसरा, अगर एक्सिडेंट ड्राइवर के तेज रफ्तार ढंग से कार चलाने पर हुआ हो. तब पीछे बैठा शख्स क्या करेगा. अच्छा हिंदू क्या करेगा. ड्राइवर को नौकरी से निकाल देगा. एफआईआर दर्ज करवाएगा. मगर इस मामले में खुद को कार में पीछे बैठा बता रहे मोदी ने तो न्यूटन का क्रिया प्रतिक्रिया का नियम समझाया और पुलिस जांच को लगातार प्रभावित करते रहे.

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केस नंबर 2 सेकुलरिज्म का मतलब भारत पहले

मोदी कहते हैं कि ‘मेरे सेकुलरिज्म का मतलब है भारत पहले. और बीजेपी के लिए इसका मतलब है सभी को न्याय और तुष्टीकरण किसी का नहीं.’ इस पर वकील सिब्बल तर्क देते हैं कि देशभक्ति का धर्मनिरपेक्षता से कोई लेना देना नहीं. एक सांप्रदायिक आदमी भी देशभक्त हो सकता है. और रही बीजेपी के सभी को न्याय के तर्क की बात तो गोधरा के बाद हुए दंगों में जिस तरह से लगातार न्याय को नकारा गया, उससे इनकी पोल खुल जाती है.

केस नंबर 3 आलोचना करो, इल्जाम मत लगाओ

मोदी ने कहा था कि ‘मैं मानता हूं कि लोकतंत्र आलोचना के दम पर स्वस्थ रहता है.मगर इल्जाम लगाने के खिलाफ हूं मैं.’ इस पर सिब्बल काउंटर करते हैं कि मोदी पिछले कई बरसों से कांग्रेस के खिलाफ बेसिर पैर के इल्जाम लगा रहे हैं.मसलन, कह रहे हैं कि कांग्रेस उनके खिलाफ सीबीआई का बेजा इस्तेमाल कर रही है. जबकि सच यह है कि सीबीआई या तो राज्य सरकार या कोर्ट के कहने पर ही मामले की जांच करती है.गुजरात के मामले में कोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई जांच कर रही है. मगर मोदी लोगों से यह सच छिपा जाते हैं.

केस नंबर 4 बीजेपी मिशन, कांग्रेस कमीशन

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मोदी ने कहा था कि ‘बीजेपी पार्टी विद मिशन है, जबकि कांग्रेस पार्टी विद कमीशन’.इस पर कपिल सिब्बल ने नरेंद्र मोदी को कहा कि बीजेपी बिलाशक मिशन वाली पार्टी है. मगर इसका मिशन है राज्य संरक्षित हिंसा करवाना, फर्जी एनकाउंटर करवाना.रही कमीशन की बात, तो गुजरात में हुए कामों में कितना कमीशन कहां गया, ये पता न चल पाए इसलिए मोदी लोकायुक्त की नियुक्ति का विरोध करते रहे हैं.

केस नंबर 5 मैं हिंदू हूं और राष्ट्रवादी हूं.

बकौल सिब्बल मोदी कहते हैं कि ‘मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं क्योंकि मैंने हिंदू के रूप में जन्म लिया.’ यहां सिब्बल के कुतर्क सीधे सीधे सामने आते हैं. मोदी से सवाल पूछा गया था कि आप हिंदू राष्ट्रवादी हैं या बिजनेस मैनेजर. इस पर उन्होंने पहला विकल्प चुनते हुए कहा था कि मैं हिंदू तो हूं ही, क्योंकि इसी धर्म में मैंने जन्म लिया है. और मेरे लिए देश सबसे ऊपर है इसलिए मैं राष्ट्रवादी हूं.

मगर सिब्बल ने संदर्भ काटकर यह कोट किया और फिर शुरू की अपनी वकालत. उन्होंने कहा कि मोदी देशभक्ति और राष्ट्रवाद का फर्क नहीं समझते हैं. मोदी को लगता है कि हर शख्स जो हिंदू धर्म में पैदा हुआ, हिंदू राष्ट्रवादी है.जबकि मैं बाइज्जत कहना चाहता हूं कि हिंदू धर्म में पैदा हुए कुछ लोग राष्ट्रविरोधी हैं. राष्ट्रवाद का धर्म से कोई लेना देना नहीं है.

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