scorecardresearch
 

1984 सिख दंगों की जांच के लिए गठित SIT की वैधता को कोर्ट में चुनौती

एसआईटी गठन के गृह मंत्रालय के 12 फरवरी, 2015 की अधिसूचना को याचिकाकर्ता यशपाल ने चुनौती दी है. उसने अपनी याचिका में कहा कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो प्रशासनिक आदेश से दोबारा जांच करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है.

Advertisement
X
दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
दिल्ली हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

Advertisement

  • फांसी की सजा पाए अभियुक्त यशपाल सिंह ने दी कोर्ट में यचिका
  • याचिका पर गृह मंत्रालय से मांगा जवाब, सुनवाई 30 सितंबर तक टाली

1984 के सिख दंगों से जुड़े हुए मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किए जाने की वैधता को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. यह चुनौती दंगे में हाल ही में पटियाला हाउस कोर्ट से फांसी की सजा पाए अभियुक्त यशपाल सिंह ने दी है. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस आईएस मेहता की डबल बेंच ने इस याचिका पर गृह मंत्रालय से जवाब मांगा है और सुनवाई 30 सितंबर के लिए टाल दी है.

एसआईटी फिलहाल 1984 के सिख दंगों से जुड़े करीब 60 अनसुलझे मामलों की जांच कर रही है. उसमें से उसने 52 मामलों में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट भी दाखिल कर दी है जबकि बाकी बचे मामलों में अभी भी जांच चल रही है. इनमें से तीन मामलों में फैसला आ चुका है और दोषी को सजा दी गई है.

Advertisement

क्या है उस याचिका में?

एसआईटी गठन के गृह मंत्रालय के 12 फरवरी, 2015 की अधिसूचना को याचिकाकर्ता यशपाल ने चुनौती दी है. उसने अपनी याचिका में कहा कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो प्रशासनिक आदेश से दोबारा जांच करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है. इस तरह का आदेश केवल अदालत दे सकती है. इसपर दोबारा जांच के लिए एसआईटी गठित करने का गृह मंत्रालय का फैसला गैर कानूनी है. लिहाजा सरकार के गलत फैसले को कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया जाए.

कोर्ट में दोषियों के साथ मारपीट

यशपाल को फांसी की सजा दिए जाने के दौरान अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कोर्ट में ही 1984 के दंगे के दोषियों के साथ मारपीट भी की थी. इसके बाद इस पूरे मामले में तूल पकड़ लिया था. पुलिस की मौजूदगी में 1984 के दोषियों की पिटाई के बाद कोर्ट परिसर की सुरक्षा पर भी सवाल उठे थे.

पिछले साल कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल रहे और 1984 के दंगों के मुख्य अभियुक्त सज्जन कुमार को भी दिल्ली हाई कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. पिछले कुछ वक्त में 1984 के दंगों से जुड़े मामले में ना सिर्फ सुनवाई में तेजी आई है बल्कि कोर्ट ने एसआईटी के गठन के बाद मामलों का जल्द निपटारा भी किया है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement