पाकिस्तान चुपके चुपके अपने कब्जे वाले कश्मीर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण गिलगिट बल्टिस्तान का वास्तविक नियंत्रण चीन के हाथों में सौंप रहा है जहां पाकिस्तानी शासन के खिलाफ विद्रोह सुलग रहा है.
न्यूयार्क टाईम्स ने कहा है कि गिलगिट बल्टिस्तान में दो महत्वपूर्ण नयी बातें हुई हैं. पहला वहां पाकिस्तानी शासन के खिलाफ जबर्दस्त विद्रोह सुलग रहा है और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 7000 से 11000 सैनिकों की वहां घुसपैठ हो गयी है. यह क्षेत्र दुनिया के लिए बंद कर दिया गया है.
अखबार ने कहा है, ‘‘चीन पाकिस्तान के रास्ते सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में निर्बाध सड़क और रेल संपर्क सुनिश्चित करने के लिए इसपर अपनी पकड़ बनाना चाहता है.’ इसी संदर्भ में चीन उच्च गति वाले रेल और सड़क संपर्क बनाने में जुटा है.
इन मार्गों से बीजिंग पूर्वी चीन से बलूचिस्तान के गवादार, पासनी और ओरमरा में चीन द्वारा नवनिर्मित पाकिस्तानी नौसेना अड्डों पर जरूरी सामानों और ऑयल टैंकर पहुंचा पाएगा.
न्यूयार्क टाईम्स ने कहा है, ‘गिलगिट बल्टिस्तान में प्रेवश कर रहे पीएलए सैनिकों में से कई रेलमार्ग पर काम करने वाले हैं. कुछ कराकोरम हाइवे, जो चीन के झिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान से जोड़ने के लिए बनाया गया है, के विस्तार में जुटे हैं. अन्य बांधों, एक्सप्रेसवे और अन्य परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं.’{mospagebreak} अखबार के अनुसार गुप्त स्थानों पर बन रही 22 सुरंगों पर रहस्य बना हुआ है क्योंकि वहां पाकिस्तानियों के जाने पर भी मनाही है. संभवत: ये सुरंग ईरान से चीन को प्रस्तावित गैस पाईपलाइन के लिए जरूरी होंगी. यह पाईपलाइन गिलगिट के करोकोरम से गुजरेगी.
टाईम्स का कहना है, ‘‘लेकिन वे मिसाइल भंडार केंद्र के रूप में इस्तेमाल हो सकते हैं.’ विदेशी खुफिया सूत्रों, पाकिस्तानी मीडिया और पाकिस्तानी मानवाधिकार के हवाले से खबर देने वाले इस अखबार ने कहा है कि पहले पीएलए के निर्माण दल अस्थायी शिविरों में रहते थे और काम पूरा करने पर लौट आते थे लेकिन अब वे बडे रिहायशी परिसरों का निर्माण कर रहे जो दीर्घकालीन ठहराव के लिए डिजायन किए हुए हैं.
न्यूयार्क टाईम्स ने अपनी खबर में कहा कि पाकिस्तान के लिए तालिबान का साथ और चीन को गिलगिट क्षेत्र पर पकड़ मजबूत करने में उसके सहयोग से यह स्पष्ट है कि वह (पाकिस्तान) अमेरिका के लिए सहयोगी नहीं है.
अखबार ने कहा है कि गिलगिट और बल्टिस्तान में लोकतांत्रिक अधिकारों और क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए होने वाले आंदोलनों का सुन्नी जिहादी पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर गला घोंट रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल गिलगिट और बल्टिस्तान सैन्य शासन के अधीन हैं.’
अखबार ने जम्मू कश्मीर में भारत की भूमिका की सराहना की है लेकिन साथ ही उसने अमेरिका से कहा है कि वह भारत पर कश्मीरी अलगाववादियों के साथ स्वायत्तता के मुद्दे बातचीत के लिए दबाव बनाए क्योंकि इससे पाकिस्तान पर कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देने के लिए दबाव बनेगा.