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चीन-पाक का सैन्य गठजोड़ गंभीर चिंता का विषय: एंटनी

चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य गठजोड़ पर गहरी चिंता जताते हुए रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने शुक्रवार को कहा कि भारत को हर समय चौकन्ना रहना चाहिए.

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चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य गठजोड़ पर गहरी चिंता जताते हुए रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने शुक्रवार को कहा कि भारत को हर समय चौकन्ना रहना चाहिए. उन्होंने रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान की स्थापना दिवस के अवसर पर कहा, ‘चीन और पाकिस्तान के सैन्य क्षेत्र में गठजोड़ भारी चिंता का विषय बना हुआ है.’’

एंटनी ने कहा, ‘‘हमें निरंतर चीन की सैन्य क्षमताओं का आकलन करना पड़ता है और उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रियाओं को ढालना पड़ता है. इसी के साथ हमें हर समय सतर्क रहना पड़ता है.’’ भारत का मानना है कि चीन पाकिस्तान का सैन्य गठजोड़ इसके हितों तथा दक्षिण एशिया क्षेत्र में सामरिक संतुलन के लिए घातक है.’’ देश के लिए चिंता का एक अन्य विषय पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के लिए चीन द्वारा उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण है. चीन ने पाकिस्तान को पंजाब प्रांत में दो परमाणु संयंत्र बनाने में मदद की है तथा उसके परमाणु कार्यक्रम को निरंतर सहयोग देता रहा है.

चीन पाकिस्तान को रक्षा सामानों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. इनमें कम दूरी वाली बैलेस्टिक मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर वाले पोत, टी 85 टैंक, जेट प्रशिक्षण विमान शामिल हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि चीन आपसी समझ एवं समृद्धि के मकसद से की गयी पहल पर माकूल प्रतिक्रिया करेगा. उन्होंने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत चीन सहित अपने पड़ोसियों के साथ मित्रता एवं सौहाद्रपूर्ण संबंध बनाना चाहता है. हमारे प्रयास जारी हैं. इसके साथ ही कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो हमारे लिए चिंता का कारण हैं.’’

एंटनी ने पाकिस्तान पर आतंकी समूहों को अपनी भूमि से खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान के घटनाक्रमों की ‘‘करीबी से निगरानी’’ करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘इस्लामाबाद को अपनी भूमि से होने वाली आतंकी गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए. बहरहाल, जमीनी स्तर पर आतंकी ढांचे बरकरार हैं तथा हकीकत यह है कि वे पनप रहे हैं.’’ एंटनी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने अभी तक आतंकवादियों और अंतरराष्ट्रीय अपराधों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई नहीं की है.’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पाकिस्तान के साथ वार्ता बहाल करने की इच्छा जताये जाने को भारत की क्षेत्र में शांति बहाल करने की आकांक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने पड़ोसियों के साथ लंबित मुद्दों का समाधान निकालने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. हमने अपने सभी पड़ोसियों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाने के लिए हमेशा प्रयास किये हैं. एक जीवंत लोकतंत्र और समृद्ध हो रही अर्थव्यवस्था होने के कारण हम क्षेत्र के सुरक्षा समीकरणों की अनदेखी नहीं कर सकते.’’

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