सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित की गई एसआईटी ने काले धन पर रोक लगाने के लिए कई सुझाए दिए हैं. एसआईटी ने अपने सुझावों में कहा है कि 1 लाख से ज्यादा की खरीदारी पर ग्राहक का पैन नंबर मांगा जाए और पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड लिया जाए. इसके साथ ही एसआईटी ने एक तय राशि से ज्यादा नकदी ले जाने पर लगाम लगाने और चेक भुगतान पर पैन संख्या देना अनिवार्य करने का भी सुझाव दिया है.
एसआईटी ने केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री स्थापित करने का सुझाव दिया है ताकि वित्तीय लेन देन में कई तरह के पहचान पत्रों के इस्तेमाल पर रोक लग सके. एसआईटी ने कहा है कि आयकर अभियोजन के 5000 लंबित मामलों से निपटने के लिए मुंबई में कम से कम पांच अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालतें गठित की जानी चाहिये.
हालांकि इससे पहले भी कई एक्सपर्ट पैनल ने सुझाव दिए थे. लेकिन सरकारों ने सुझावों को लागू करने में ढिलाई बरती. एसआईटी ने साथ ही खनन, पोंजी योजनाओं, लौह अयस्क निर्यात, निर्यात आयात प्रक्रियाओं के दुरुपयोग को काले धन के लेन देने के लिहाज से प्रमुख क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया है.
यूरोपीय देशों का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सीमा तक ही नकदी रखने और लाने ले जाने की अनुमति होनी चाहिए. सरकार दस लाख रुपये या 15 लाख रुपये तक जो भी उचित लगे, सीमा तय करने पर विचार कर सकती है. इसके अनुसार शिपिंग बिल में उस सामान और मशीनरी का अंतरराष्ट्रीय मूल्य भी शामिल होना चाहिए जिसका निर्यात किया जाना है. बयान के अनुसार, इस सुझाव पर विचार हो रहा है और इसके शीघ्र ही कार्यान्वयन की उम्मीद है.
एसआईटी ने सुझाव दिया है कि 50 लाख रुपये या इससे अधिक की कर चोरी को निर्दिष्ट अपराध बनाया जाना चाहिये, ताकि इसमें मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की जा सके. इसी तरह जिन मामलों में कोई व्यक्ति या फर्म नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेश में संपत्ति जुटाने का दोषी पाया जाता है उन मामलों में फेमा में यह प्रावधान किया जाना चाहिए कि समान राशि की संपत्ति देश में ही जब्त की जा सके.
स्पेशल जांच टीम ने कहा है कि इसी तरह प्रवर्तन एजेंसियों, वित्तीय आसूचना इकाई और अन्य भागीदारों के बीच सक्रियता के साथ संवाद होना चाहिए.