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असम के 26 जिलों में बाढ़ का कहर, 60-70 गांव जलमग्न, मदद के इंतजार में लोग

उत्तर पूर्वी राज्य असम बाढ़ की चपेट में है. भारी बारिश और ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ने के चलते असम समेत पूर्वोतर के 56 जिले बाढ़ के चलते जलमग्न हो चुके हैं.

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असम बाढ़ से जनजीवन ठप
असम बाढ़ से जनजीवन ठप

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उत्तर पूर्वी राज्य असम बाढ़ की चपेट में है. भारी बारिश और ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर बढ़ने के चलते असम समेत पूर्वोतर के 56 जिले बाढ़ के चलते जलमग्न हो चुके हैं. असम के 26 जिलों में सबसे ज्यादा हालात खराब हैं. बारपेटा, गोलाघाट, गोपुर और लखीमपुर जैसे जिलों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. आलम ये है कि गांव के गांव जलमग्न हो गए हैं और गांव से जुड़ी हुई सड़कें किसी दरिया का रूप ले चुकी हैं. बाढ़ के चलते निचले असम में आम जनजीवन ठप हो चुका है.

राज्य सरकार और एनडीआरएफ मदद के लिए तैनात है लेकिन तमाम कोशिशें बाढ़ की उग्रता को देखते हुए नाकाफी लग रही हैं. बाढ़ ग्रस्त असम की तस्वीरें आप तक पहुंचाने के लिए आज तक पहुंचा असम के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक बारपेटा जिले में. ब्रह्मपुत्र का प्रकोप इस जिले में साफ दिखाई दे रहा है. 200 से ज्यादा गांव वाले जिले में 60 से 70 गांव जलमग्न हो चुके हैं.

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रोजमर्रा की चीजों के तरसे लोग

बाढ़ का कहर झेल रहे गांव वालों को सरकारी मदद का इंतजार है. इस बीच एनडीआरएफ की टीमें इन गांवों का दौरा कर जरूरत का सामान और मेडिकल सुविधाएं मुहैया करा रही है. बाढ़ की तीव्रता का अंदाजा इन तस्वीरों से लगाया जा सकता है. सड़क से गांव के बीच की पगडंडियां अब किसी नदी की तरह लगती हैं. जिन सड़कों पर दो पहिया चार पहिया चलते थे उन सड़कों पर छोटी-छोटी नावें निकल आई हैं. गांव में रहने वाले लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए तरस गए हैं.

NDRF के लिए बाढ़ से जीतना मुश्किल

आज तक की टीम सबसे पहले पहुंची बारपेटा जिले के मोरीपाम गांव में. यह गांव छोटे-छोटे पॉकेट में बंट चुका है. सैलाब इतना कि एक घर से दूसरे घर जाने के लिए भी छोटी नावों की जरूरत पड़ती है. महिलाओं और बच्चों की जान खतरे में है. गांव के आसपास हरे भरे खेत अब सैलाब में डूब चुके हैं. बाढ़ का यह रूप यह कहने के लिए काफी है कि सारी मशीनरी लगाने के बावजूद भी प्रकृति की इस ताकत से लड़ना बेहद मुश्किल है. एनडीआरएफ इस पूरे इलाके में मदद का काम कर रही है लेकिन उन्हें भी लगता है कि अभी अभी बहुत कुछ करना बाकी है.

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रिजिजू और सोनोवाल ने लिया जायजा

गांव में पानी का जलस्तर बढ़ने से बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है ऐसे में उन्हें दवाइयां पहुंचाने की भी कोशिश की जा रही है. एक गांव से दूसरे गांव तक का सफर किसी बहती दरिया को पार करने से कम नहीं है. केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल भी बाढ़ ग्रस्त असम का मुआयना कर चुके हैं.

जाहिर है मौजूदा स्थिति को लेकर केंद्र और राज्य दोनों की सरकारें बेहद चिंतित हैं. हालांकि पिछले 48 घंटों से बारिश थमने के चलते पानी के स्तर में बढ़ोतरी नहीं हुई है. लेकिन आने वाले दिनों में बारिश अगर फिर होती है तो न सिर्फ ब्रह्मपुत्र का स्तर बढ़ेगा बल्कि आसपास के इलाकों में स्थिति और भी भयंकर हो जाएगी.

नाव ही एक मात्र सहारा

आजतक की टीम यहां से आगे चलकर मोरे गांव में पहुंची. दोनों गांव के बीच अब सड़क नहीं बची है. फासला तय करने के लिए नाव इकलौता जरिया है. पानी का स्तर 15 से 20 फुट तक गहरा है. इलाके के लोगों ने आज तक से बातचीत में बताया कि अभी तक उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल पाई है. बिजली के खंभे और उन पर लटकते तार गांव से जुड़े तो हैं लेकिन ज्यादातर इलाकों में बिजली की सप्लाई बाढ़ के चलते ठप्प है.

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बुखार और इंफेक्शन का कहर

मोरीगांव से आगे चलकर टीम दिगीपाम पहुंची. बारपेटा जिले का यह गांव ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा हुआ है. ब्रह्मपुत्र नदी ने अपना प्रभाव कुछ ऐसा छोड़ा कि गांव और नदी के बीच का फर्क खत्म हो गया है. लोग अपने घरों में सिमटे हैं खेत खलिहान सड़कें सब जलमग्न हो चुके हैं. गांव में कई घरों में बाढ़ के चलते लोगों को बुखार सरदर्द और इन्फेक्शन जैसी बीमारियों ने घेर लिया है.

बचाव कार्य में लगी हैं NDRF की 5 टीमें

एनडीआरफ की टीम इन इलाकों में मेडिकल सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है. एनडीआरएफ की कुल लगभग 5 टीमें असम में रेसक्यू और रिलीफ के कामों में लगी हुई है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से रसद और खाने पीने का सामान की सप्लाई अभी भी बेहद कम है.

घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं लोग

दिगीपाम गांव से निकलकर ब्रह्मपुत्र की मुख्यधारा के बीचों-बीच होते हुए हम उन इलाकों में पहुंचे जो नदी के बीचो-बीच है लेकिन छोटे-छोटे हिस्सों में समतल इलाकों में अभी भी आबादी बसी हुई है. ब्रह्मपुत्र नदी के बीचो-बीच कई जगहों पर अभी भी लोग डटे हुए हैं. ब्रह्मपुत्र नदी की धारा कभी भी इन जगहों को नेस्तनाबूद कर सकती है और इनकी जान पर मंडराते खतरे के बावजूद भी यह लोग अपने परिवार और मवेशियों के साथ यहां से जाने को तैयार नहीं हैं.

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आसपास के बाकी जिलों की तरह ही बारपेटा जिले में हालत बेहद खराब हैं. उम्मीद है यहां मदद ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी पहुंचेगी.

 

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