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16वीं लोकसभा: संसद को मंदिर मान कर आए थे PM मोदी, ऐसा रहा कार्यकाल

यूपीए के 10 साल के कार्यकाल के बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे 16 मई को आए थे, जिसमें बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली थी. 30 साल में यह पहला मौका था जब कोई पार्टी अकेले दम पर पूर्ण बहुमत में आई हो.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( फोटो:PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( फोटो:PTI)

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बजट सत्र के समापन के बाद 16वीं लोकसभा का आखिरी सत्र खत्म हो गया है. 31 जनवरी, 2019 को राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू हुए इस सत्र में कुल 10 बैठकें हुईं और 13 फरवरी को इसका समापन हो गया. अब 17वीं लोकसभा के गठन के बाद ही संसद का सत्र शुरू होगा, उससे पहले अप्रैल में लोकसभा चुनाव होने हैं. 18 मई 2014 को 16वीं लोकसभा का गठन हुआ था और तब से लेकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने देश में कई बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसले लिए हैं.

पूर्ण बहुमत की सरकार

यूपीए के 10 साल के कार्यकाल के बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे 16 मई को आए थे, जिसमें बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली थी. 30 साल में यह पहला मौका था जब कोई पार्टी अकेले दम पर पूर्ण बहुमत में आई हो. हालांकि, साल दर साल बीजेपी के सांसदों की संख्या घटती चली गई और उपचुनावों में मिली हार से बीजेपी सांसदों की संख्या 270 के करीब आ गई है. एनडीए सरकार के पास फिर भी लोकसभा में पूर्ण बहुमत है. इस लोकसभा में 315 सांसद पहली बार चुन संसद पहुंचे थे. साथ ही 2014 से पहले सत्ताधारी कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटों पर जीत मिली थी.

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सबसे ज्यादा महिला सदस्य

महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिहाज से यह लोकसभा सबसे खास रही क्योंकि इस बार 543 में से 62 महिलाएं चुनकर लोकसभा पहुंचीं. कुल सदस्यों में महिलाओं का प्रतिशत 11.23 रहा जबकि 15 वीं लोकसभा में 58 महिस सदस्य थीं. इस लिहाज से 16वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा महिला सदस्य चुनी गईं. हालांकि सत्ताधारी दल बीजेपी से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा नहीं पहुंचा.

मोदी का भव्य शपथ ग्रहण

16वीं लोकसभा का पहला सत्र 4 जून से 11 जून तक चला जिसमें कुल 6 बैठकें हुईं. इस सत्र में 16 मिनट का वक्त गतिरोध की वजह से बर्बाद हुआ था. इससे पहले 26 मई 2014 के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 14वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. साथ ही वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है. पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे जिनमें तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ भी शामिल थे.

सेंट्रल हॉल में रो पड़े PM...

प्रधानमंत्री पहली बार 20 मई, 2014 को चुनाव जीतने के बाद संसद भवन में दाखिल हुए और उन्होंने संसद की सीढ़ियां को नतमस्तक होकर प्रणाम किया और संसद भवन को किसी मंदिर के समान आदर दिया. पीएम मोदी 21 मई, 2014 को संसद के सेंट्रल हॉल में अपना पहला दिया. इसमें भाषण में वह भावुक भी हुए और पार्टी को अपनी मां बताते हुए कहा कि एक बेटा कभी अपनी मां पर कृपा नहीं कर सकता. इसके अलावा उन्होंने पानी से आधे भरे गिलास को हाथ में लेते हुए कहा था कि मैं आशावादी हूं मेरे लिए यह गिलास न आधार भरा है और न आधा खाली है, बल्कि पूरा भरा है, आधा पानी से और आधा हवा से भरा हुआ है.

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एक साथ बजट की परंपरा

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में ही 21 सितंबर, 2016 को आम बजट के साथ रेल बजट पेश करने की परंपरा शुरू हुई. इससे पहले तक रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था. साथ ही साल 2017-18 को एक फरवरी से बजट पेश करने की परंबरा भी शुरू हो गई. इससे पहले की सरकारों में बजट 28 फरवरी को पेश करने का चलन था.

आधी रात को जीएसटी

इस 16वीं लोकसभा में कर सुधार की दिशा में क्रांतिकारी कदम कही जाने वाली जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) प्रणाली भी लागू की गई. इसके के लिए 30 जून 2017 की आधी रात को संसद का संयुक्त सत्र बुलाया गया. देश के तत्कालीन राष्ट्रपति और पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के हाथों की जीएसटी की शुरुआत की गई. इस प्रणाली को लागू करने के लिए संविधान में 122वां संशोधन भी किया गया है.

आया अविश्वास प्रस्ताव

नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उनके खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया, हालांकि यह सदन में गिर गया. पिछले साल बजट सत्र के दौरान 20 जुलाई 2018 अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 10 घंटे की चर्चा के बाद वोटिंग हुई जिसमें इस खिलाफ 325 वोट पड़े जबकि 126 सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना संबोधन खत्म कर पीएम मोदी को सीट पर जाकर गले भी लगाया और इसकी तस्वीर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई.

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सवर्णों को भी आरक्षण

इस लोकसभा के कार्यकाल में 8 जनवरी, 2019 को सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया. प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने सामान्य वर्गों के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का फैसला लिया. संसद के दोनों सदनों से इससे जुड़ा 124वां संविधान संशोधन बिल पारित कराया गया और पहली बार आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले पर सहमति से मुहर लगाई गई. विपक्षी दलों ने इस फैसले स्वागत तो किया, लेकिन इसे बीजेपी का चुनावी स्टंट भी करार दिया.

भगोड़ों पर लगाम का कानून

16वीं लोकसभा में जुलाई, 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधियों को नकेल कसने से जुड़ा बिल पारित किया गया. इस बिल में बैंकों का पैसा लूटकर देश छोड़कर भागने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान है. साथ ही इस कानून में भगोड़े आर्थिक अपराधियों को परिभाषित भी किया गया है और उनकी संपत्ति जब्त करने जैसे कई प्रावधान इस बिल में शामिल किए गए हैं. आपराधिक कानून में संशोधन कर 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में फांसी की सजा से जुड़ा अहम बिल भी इसी लोकसभा में पारित किया गया है.

कितना हुआ काम

16वीं लोकसभा के दौरान कुल 17 सत्रों की 331 बैठकें हुई और औसतन 85 फीसदी के करीब काम हुआ. पहला सत्र 4 जून से 11 जून तक चला और आखिरी सत्र 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चला. इसके अलावा 16वीं लोकसभा में कुल 215 विधेयक पेश किए गए जिनमें से 205 विधेयकों को मंजूरी दी गई. साथ ही 8 सत्र ऐसे रहे जिनमें काम 100 फीसदी से भी ज्यादा रहा. इस लोकसभा के चौथे सत्र में सबसे ज्यादा काम हुआ और 24 विधेयकों को पारित किया गया. 23 फरवरी से 13 मई 2015 तक चले इस सत्र में कुल 35 बैठकें हुईं और 242 घंटे से ज्यादा काम हुआ. संसद के 11वें सत्र में 23, 15वें सत्र में 10, 16वें सत्र में 16, 17वें सत्र में 5 और दसवें सत्र में 4 विधेयकों को पारित किया गया.

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समय की बर्बादी

गतिरोध और हंगामे की वजह से संसद के कई सत्रों में समय की बर्बादी भी खूब हुई. इस लिहाज से सबसे ज्यादा गतिरोध 14वें सत्र में देखने को मिला जब 127 घंटे से ज्यादा वक्त हंगामे की भेंट चढ़ गया. पहले सत्र में सिर्फ 16 मिनट ही बर्बाद हुए थे. सबसे कम समय की बर्बादी 8वें सत्र में हुई जब एक मिनट में हंगामे की भेंट नहीं चढ़ा.

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