आजादी के 70 साल बाद भी हम उसी शिक्षा पद्दति का पालन कर रहे हैं जो अंग्रेजों ने लागू की थी. आज हमें ये नहीं पता कि क्या यह शिक्षा पद्दति हमें भविष्य की नौकरी के लिए तैयार कर रहा है? इंडिया टुडे ग्रुप के मेक इन इंडिया इमरजिंग आत्रेप्रन्योर अवार्ड के दौरान हरियाणा विश्वकर्मा स्किल यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर राज नेहरू ने कहा कि आज शिक्षक, छात्र और नौकरी देने वालों में कोई सामंजस्य नहीं है. शिक्षक आज इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक नहीं है. लिहाजा केन्द्र सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन तीनों को एक दिशा में ले जाने की है.
केन्द्र सरकार की नवरत्ना कंपनी भेल के चेयरमैन अतुल सोब्ती ने कहा कि मौजूदा दौर में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने शिक्षा की नई परिभाषा खड़ी की है उससे हमें हमारी शिक्षा व्यवस्था में मौजूद विसंगति को भरने की जरूरत है. सोब्ती ने बताया कि भेल में वह वेंडर्स और कॉन्ट्रैक्टर को अपनी फैक्ट्री में ले जा रहे हैं और उनकी ट्रेनिंग कर रहे हैं जिससे सही तरह की वर्कफोर्स कंपनी को मिल सके. लिहाजा, ऐसा ही बड़े स्तर पर केन्द्र सरकार को भी करने की जरूरत है.
देश में नई शिक्षा व्यवस्था के सवाल पर नोकिया के मैन्यूफैक्चरिंग ऑपरेशन के प्रमुख सतेन्द्र सिंह ने कहा कि हम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मैन्यूफैक्चरिंग कर रहे हैं. आज हम कंप्यूटर और स्मार्टफोन बनाने में इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर की मैन्यूफैक्चरिंग कर रहे हैं. इसके लिए नोकिया ने भी दस साल पहले बदलाव के मुताबिक और अपनी जरूरत के हिसाब से लोगों को ट्रेनिंग दी. कंपनी ने वर्कफोर्स सप्लायर्स को जरूरत समझाई जिसके बाद कंपनी को नया वर्कफोर्स मिला.
अतुल सोब्ती ने कहा कि कर्मचारियों की ट्रेनिंग के साथ-साथ कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे लोगों को भी ट्रेन करना बेहद जरूरी है. हमने अपनी नीति में ऐसे कर्मचारियों को लेना शुरू किया जो ट्रेनिंग के लिए तैयार रहते हैं यानी जो किसी तरह के बदलाव के प्रति उत्सुक रहते हैं. सोब्ती ने कहा कि भेल पहले पॉवर सेक्टर की कंपनी थी. लेकिन अब अपने कर्मचारियों को नॉन पॉवर की तरह ले जा रही है. इसके लिए कंपनी पुराने कर्मचारियों की ट्रेनिंग के साथ-साथ नई भर्ती मे इसका ध्यान रख रही है.
सोब्ती ने बताया कि हाल ही में हरियाणा के एक सर्वे में पाया कि विद्यार्थियों ने ऐसी शिक्षा की जरूरत बताई जिसके बाद वह कुछ कर सकें. उन्हें ऐसे स्किल की जरूरत थी जिसके लिए मार्केट में डिमांड रहे और उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद उस शिक्षा के आधार पर नौकरी मिलने लगे. सोब्ती समेत इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे सभी लोगों ने मौजूदा चुनौतियों के आधार पर शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने की जरूरत पर जोर दिया.