भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का संशोधन करना केन्द्र की मोदी सरकार के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. विपक्षी दल इस मुद्दे को हथियार बनाकर किसानों को थमा रहे हैं. ताकि किसान सड़कों पर आ जाएं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस अध्यादेश पर पहले ही मोर्चा खोल रखा है. अब कांग्रेस ने केन्द्र सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है. सभी गैर-बीजेपी शासित राज्यों में इस कानून का विरोध शुरू हो गया है. इतना ही नहीं संघ परिवार भी इसे किसान विरोधी बता रहा है.
यूपीए सरकार के कार्यकाल में जो कानून बना था, उसमें किसान की जमीन हासिल करना बहुत मुश्किल था. मोदी सरकार ने इस कानून को अध्यादेश के माध्यम से संशोधित करके इतना आसान बना दिया कि किसानों की जमीन पर कब्जा करने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी. ग्रामीण इलाकों में आसान अधिग्रहण के अलावा वहां शुरू की जाने वाली किसी भी नई परियोजना के लिए ग्रामीणों की सहमती भी ज़रूरी नहीं होगी. इस तरह से केन्द्र सरकार ने भूमि लेने वाली कम्पनियों के लिए अधिग्रहण की राह आसान कर दी है.
मोदी सरकार इस अध्यादेश के बहाने विदेशी निवेश की उम्मीद लगाए बैठी है. सरकार को लगता है कि इस तरह के संशोधन से विदेशी निवेश के रास्ते खुल जाएंगे. लेकिन सरकार इससे किसानों को होने वाले नुकसान की अनदेखी कर रही है. इस बदलाव की वजह से पूरे देश में किसान उग्र हो सकते हैं.
पश्चिम बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्य भी केन्द्र के इस अध्यादेश को टेढ़ी नज़र से देख रहे हैं. हरियाणा में भी इस मामले पर विपक्षी दल हंगामा खड़ा करने की तैयारी में हैं. मुद्दे को भुनाने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में एक बड़े विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनाई गई है. जिसका आगाज़ नोएडा के भट्टा पारसौल गांव से किया जाएगा. कांग्रेस नेता जयराम रमेश को इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी दी गई है. ये गांव भूमि अधिग्रहण मामले में हिंसक आंदोलन का गवाह रहा है. पास ही मुज़फ्फरनगर से भारतीय किसान यूनियन ने इस अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. धरना और प्रदर्शन किए जाने की रणनीति तैयार है. यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत इस मुद्दे पर जनांदोलन करने वाले संगठनों को एक मंच पर आने की अपील कर रहे हैं.
मोदी सरकार के लिए चुनौती केवल बाहर से ही नहीं है. एक परेशानी राष्ट्रीय स्वंय संघ के आर्थिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी खड़ी कर दी है. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खंड 10 (ए) में संशोधन को मंच ने नकार दिया है. संगठन के राष्ट्रीय सह-सयोंजक अश्वनी महाजन के मुताबिक बीजेपी सरकार ने नए संशोधन से होने वाले सामाजिक प्रभाव का आंकलन नहीं किया. और खाद्य सुरक्षा को भी ध्यान में नहीं रखा. सरकार को इस फैसले से प्रभावित होने वाले परिवारों के बारे में सोचना चाहिए था.
...यानी मोदी सरकार इस मामले में चारों ओर से घिर गई है.