जापान की तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती को अस्थायी करार दिया है. उन्होंने कहा कि भारत का आधार मजबूत है और देश जल्द ही 8 फीसदी की वृद्धि दर की राह पर लौट आएगा.
उद्योग मंडल निप्पन केइदानरेन द्वारा आयोजित भोज बैठक के दौरान जापान के प्रमुख उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए सिंह ने उम्मीद जताई कि 2013-14 में आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 6 प्रतिशत के आसपास पहुंचेगी. बीते वित्त वर्ष 2012-13 में वृद्धि दर दशक के निचले स्तर 5 फीसदी पर रहने का अनुमान है.
सिंह ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में धीमी वृद्धि दर अस्थायी सुस्ती है. पिछले एक दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था औसतन 8 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ी है.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में हमें विश्वास है कि हम 8 फीसदी की वृद्धि की राह पर फिर लौटेंगे.’ प्रधानमंत्री ने कारोबार जगत की हस्तियों को आश्वस्त किया कि भारत विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए और कदम उठा रहा है.
सिंह ने कहा, ‘हमने निवेश बढ़ाने के लिए इस पर प्रोत्साहन बढ़ाने के कदम उठाए हैं. हमने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र, बिजली एक्सचेंजों और नागर विमानन क्षेत्र में विदेशी निवेश को उदार बनाया है. इनको और तर्कसंगत तथा सरलीकृत किए जाने की योजना है. हमने वित्तीय बाजार में और सुधार पेश किए हैं.’
मित्सुबिशी कारपोरेशन ने उठाया सवाल
मित्सुबिशी कारपोरेशन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक भारतीय राज्य में अलग-अलग कर व्यवस्था की वजह से जापानी निवेशकों को कठिनाई आती है और इससे जटिलताएं पैदा होती है. वे जानना चाहते हैं कि जीएसटी को कब तक लागू किया जाएगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘भारत में संघीय प्रणाली है. उसमें राज्यों को कराधान का अधिकार छोड़ने के लिए राजी करना आसान काम नहीं है, लेकिन मुझे भरोसा है कि हम बाधा पार कर लेंगे. हम इस पर काम कर रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा राज्यों को इसके लिए राजी करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है और साथ ही ज्यादा उत्साह वाले प्रयासों की आवश्यकता है.’
सिंह ने कहा, ‘ऐसे में हम यह नहीं कह सकते कि यह काम कल हो जाएगा, लेकिन यदि आप मुझसे पूछें तो 2014 का आम चुनाव संपन्न होने के बाद जो भी सरकार आएगी, वह भारत की आर्थिक वृद्धि की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए (इस पर) समुचित प्रकार की आम सहमति सहमति जरूर बनाएगी.’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए किए गए उपायों से चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कहीं अधिक यानी 6 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है, उन्होंने कहा, ‘हम 2014-15 में और अच्छा प्रदर्शन करेंगे.’
केइदानरेन के चेयरमैन हिरोमासा योनेकुरा ने कहा कि जापानी निवेशक निजी-सार्वजनिक भागीदारी को आगे बढ़ाने को काफी इच्छुक हैं, लेकिन भारत में जटिल कर प्रणाली की वजह से उन्हें अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री सिंह ने जापानी निवेशकों को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार इन अड़चनों को दूर करने को प्रतिबद्ध है और देश 8 फीसदी की वृद्धि दर के रास्ते पर लौट सकता है.
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) नियमों को उदार बनाने के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कड़ा तकनीकी सवाल है, जिसका जवाब वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के पास है. इसके बाद प्रधानमंत्री ने हल्के अंदाज में कहा, ‘हम जितना ऊंचा उठते जाते हैं, निचले स्तर के बारे में हमारी जानकारी उतनी कम होती जाती है.’
सिंह ने कहा कि विदेशी बैंकों के लिए खुद को पीएसएल नियमों के अनुरूप ढालना ज्यादा सरल है. उनकी सरकार जापानी औद्योगिक निवेशकों के लिए भारत में सुखद परिस्थिति उपलब्ध कराने के लिए हर संभव उपाय करेगी ताकि भारत में उनकी उपस्थिति बढ सके.
भारतीय उद्योग क्षेत्र के आधुनिकीकरण में जापानी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक सुधारों की अवधि के बाद मारुति सुजुकी की भागीदारी भारत में घर-घर में चर्चित हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि भारत में उंचे स्तर की प्रतिस्पर्धा के रास्ते में एक सबसे बड़ी अड़चन गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे की है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 1,000 अरब डालर के निवेश का लक्ष्य रखा है. इसमें से आधा निवेश निजी क्षेत्र से सार्वजनिक निजी भागीदारी के जरिये आएगा.
उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि जापानी उद्योग भारत द्वारा पेश किए जाने वाले भारी निवेश के अवसरों का फायदा उठाएंगे.’ प्रधानमंत्री ने बताया कि दिल्ली और मुंबई के बीच मालगाड़ियों के लिए विशेष मार्ग (डीएफसी) का काम 2017 तक पूरा करने की योजना है. पहले चरण के सिविल कार्यों के लिए खरीद कार्य चल रहा है और निर्माण जल्द शुरू होगा. डीएफसी परियोजना के लिए इंजीनियरिंग सेवा परामर्श चरण दो का काम भी शुरू किया गया है. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि जापानी कंपनियां दोनों चरणों में उत्साह के साथ हिस्सा लेंगी.
मनमोहन सिंह ने कहा कि दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के कार्य की प्रगति भी अच्छी है और अब यह योजना से क्रियान्वयन के चरण में है. जापान द्वारा डीएमआईसी के लिए उपलब्ध कराई गई 4.5 अरब डालर की राशि की पहली किस्त से कई प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के क्रियान्वयन की तैयारी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने डीएमआईसी परियोजनाओं के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण का मसला सुलझा लिया है.
उन्होंने कहा, ‘विदेशी मुद्रा उधारी पर लगे प्रतिबंधों को उदार बनाया गया है. मुझे पता है कि दीर्घावधि के अदला-बदली (स्वैप) करार को लेकर कुछ समस्याएं बनी हुई हैं. हम इन समस्याओं के समाधान के लिए नवप्रवर्तन वाले विचारों का स्वागत करेंगे.’
जापान ने मुंबई-अहमदाबाद द्रुत गति के रेलवे मार्ग के लिए वित्तीय और तकनीकी सहयोग की पेशकश की है. प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, ‘यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है और हमें इस पर पूर्णतावादी रुख अपनाने की जरूरत है. इसके लिए हमें बुनियादी ढांचा, व्यावसायिक व्यवहार्यता, कुल राष्ट्रीय प्राथमिकताओं तथा वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर ध्यान देने की जरूरत है.
चेन्नई-बेंगलूर औद्योगिक गलियारे का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि यह भविष्य के जापानी औद्योगिक सहयोग का एक और विस्तार होगा.
सिंह ने कहा कि दोनों देश ऊर्जा सुरक्षा संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए जोशीले तरीके से बातचीत कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी और निचले ग्रेड के भूरे रंग के कोयले के उन्नयन में जापानी निवेश का हम स्वागत करेंगे.
जापान की स्वच्छ एवं अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर एक प्रदर्शनी सितंबर में भारत में आयोजित की जाएगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान के शोध संस्थानों द्वारा एशियाई आयातकों के लिए एलएनजी की कीमत पर एक अध्ययन किया जा रहा है. यह इस साल के अंत तक तैयार होगा.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भारत में कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के लिए जापान के साथ भागीदारी की उम्मीद कर रही है. दोनों पक्षों के बीच पहले से नई पीढ़ी के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद के लिए सहयोग चल रहा है.
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत व्यावसायिक संबंध दोनों के ही रणनीतिक हित में है और इससे एशिया और आगे समृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा.