वेंकैया नायडू के केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे देने के बाद मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में कुछ बदलाव हुए. इसमें एक बदलाव ने सभी का ध्यान खींचा, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. 2016 में मानव संसाधन जैसे भारी-भरकम मंत्रालय से हटाकर स्मृति को कपड़ा मंत्रालय दिया गया था, जिसके बाद कहा गया था कि वे नरेंद्र मोदी की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी हैं लेकिन एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी के मिलने के साथ ये भी कहा जा सकता है कि एक बार फिर मोदी का भरोसा उनपर जागा है.
विवादों भरा था मानव संसाधन मंत्रालय का कार्यकाल
लगभग एक साल पहले ही स्मृति ईरानी से जुलाई 2016 में मानव संसाधन मंत्रालय छीन कर प्रकाश जावड़ेकर को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी. स्मृति जिस समय यह मंत्रालय संभाल रही थी, उस समय लगातार उनका पीछा विवादों ने किया. फिर चाहे हैदराबाद के रोहित वेमुला का मुद्दा हो, या फिर उनकी डिग्री को लेकर हुआ विवाद हो. मानव संसाधन मंत्री के रूप में दो साल का उनका कार्यकाल हमेशा ही विवादों से भरा रहा.
2014 में जब स्मृति ने मंत्री पद की शपथ ली, तो वह मोदी कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री थी. लेकिन शायद पीएम की उम्मीदों पर वे खरी नहीं उतरी. हालांकि, जबसे उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय छीना था तब से उनमें काफी बदलाव देखने को मिला. स्मृति ने विवादित बयानों से दूर रहीं और अपना ध्यान कपड़ा मंत्री के तौर पर ही आगे बढ़ाया.
अमेठी से नहीं तोड़ा नाता
स्मृति ईरानी ने 2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से लड़ा था. हालांकि वह चुनाव हार गई थी. लेकिन हारने के बावजूद भी उन्होंने अमेठी से अपना नाता नहीं तोड़ा, वे लगातार अमेठी के लिए काम कर रही हैं और समय-समय पर वहां का दौरा भी करती हैं. 2019 चुनाव से पहले एक बार पीएम का विश्वास उनपर वापस लौटना, खुद स्मृति के लिए अच्छा संकेत है.
2014 में जब मोदी स्मृति ईरानी के लिए अमेठी प्रचार करने गए थे, तब वहां भाषण के दौरान उन्होंने स्मृति को अपनी छोटी बहन बताया था. स्मृति भी लगातार गांधी परिवार पर हमलावर रही हैं, खासकर राहुल गांधी के खिलाफ. खैर अब स्मृति के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिना किसी विवाद के काम करने की है.