बढ़ते विवाद के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय ने शनिवार को कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के शिक्षा से संबंधित दस्तावेज कथित तौर पर लीक करने के संबंध में किसी भी कर्मचारी को निलंबित नहीं किया गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से यह बयान स्मृति द्वारा कार्रवाई वापस लेने की अपील के बाद आया.
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह की ओर से जारी एक बयान में पांच गैर शिक्षण कर्मचारियों के निलंबन संबंधी मीडिया की खबरों को गलत बताते हुए कहा, ‘विश्वविद्यालय को पता चला है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के किसी भी कर्मचारी को निलंबन आदेश जारी नहीं किया गया है.’ शुक्रवार को निलंबन के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के मीडिया संयोजक मलय नीरव ने शनिवार को कहा कि इस मुद्दे पर ‘संवाद की कमी’ रही.
इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के लिए कहे जाने पर नीरव ने कहा, ‘कुछ संवाद की कमी थी. मैंने एसओएल के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की और सूचित किया गया कि पांच कर्मचारियों को निलंबित किया जा रहा है. यद्यपि कोई आदेश पारित नहीं किया गया था. इसलिए मीडिया की खबरें गलत हैं.’ पांच कर्मचारियों के निलंबन की मीडिया में खबरें आने के बाद स्मृति ने विश्वविद्यालय से उन्हें बहाल करने को कहा था.
स्मृति ने ट्विटर पर लिखा था कि सार्वजनिक जीवन में किसी को भी जांच और आलोचना के लिए तैयार रहना चाहिए. ‘वैसे ही मैं भी हूं.’ उन्होंने कहा, ‘चूंकि दिल्ली विश्वविद्यालय एक स्वायत्तशासी संस्था है, मैंने कुलपति से निजी तौर पर कर्मचारियों को बहाल करने की अपील की है.’ विश्वविद्यालय सूत्रों ने शुक्रवार को बताया था कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग ने पांच व्यक्तियों को इस संदेह के आधार पर निलंबित किया है कि उन्होंने गोपनीय क्षेत्र में प्रवेश किया और दस्तावेज प्राप्त किए जिन्हें लीक किया गया.
कुलपति ने दस्तावेज लीक होने के मुद्दे पर कहा कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के किसी भी छात्र के व्यक्तिगत रिकॉर्ड से संबंधित सूचना लीक होने को गहरी चिंता से देखा जाता है.
सिंह ने एक बयान में कहा, ‘ऐसे व्यक्तिगत रिकॉर्ड को स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग द्वारा विश्वास की हैसियत से रखे जाते हैं और यह जनता के लिए उपलब्ध नहीं होते. दिल्ली विश्वविद्यालय ऐसे कृत्यों की कड़ी निंदा करता है. इसके साथ ही उसने स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि भविष्य में ऐसी कोई भी घटना नहीं हो.’ विपक्षी कांग्रेस ने विश्वविद्यालय के पांच गैर शिक्षण कर्मचारियों के निलंबन की खबरें आने के बाद सरकार पर हमला करते हुए इस कदम को ‘अहंकार’ से भरा करार दिया.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि ये केवल अहंकार ही नहीं बल्कि उनकी निरंकुशता का प्रतीक है. इससे पता चलता है कि सरकार देश को किस तरह से चलाना चाहती है.