नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति भवन में शपथ ली और इसी के साथ वे भारत के दोबारा प्रधानमंत्री बन गए हैं. नरेंद्र मोदी के बाद राजनाथ सिंह और उसके बाद पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले अमित शाह ने शपथ ली. साथ ही स्मृति ईरानी ने भी यूनियन मिनिस्टर के रूप में शपथ ली. आपको बता दें कि स्मृति ईरानी 2014 में अमेठी से चुनाव लड़ी थीं लेकिन तब वह चुनाव हार गई थीं. इस बार उन्होंने दोबारा अमेठी से चुनाव लड़ा. कड़े मुकाबले में स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करारी शिकस्त दी. हम आपको बताते हैं स्मृति ईरानी की छोटे परदे से लेकर मंत्री बनने तक की पूरी कहानी.
कभी 200 रुपये के लिए करती थीं काम, अब केंद्रीय मंत्री
नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में स्मृति ईरानी पहले शिक्षा मंत्री रहीं. इसके बाद उन्हें कपड़ा मंत्रालय का मंत्री बनाया गया. 43 साल की स्मृति ईरानी राजनीति में आने से पहले मशहूर टीवी अदाकारा थीं. स्मृति ईरानी का जन्म दिल्ली में मध्यमवर्गीय परिवार में 23 मार्च 1976 को हुआ. पिता पंजाबी और मां बंगाली हैं. तीन भाई-बहनों में स्मृति सबसे बड़ी हैं. परिवार की मदद के लिए स्मृति ने 10वीं कक्षा के बाद ही सौंदर्य उत्पादों का प्रचार करती थीं. इसके बदले उन्हें 200 रुपए मिलते थे. 1998 में स्मृति ने मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में भाग लिया पर फाइनल तक नहीं पहुंचीं. फिर वे मुंबई चली गईं. मुंबई में शुरुआत में स्मृति ने मैकडॉन्लड्स में काम किया.
2001 में पारसी व्यवसायी से हुई शादी, दो बच्चे हैं
स्मृति ने मुंबई में टीवी इंडस्ट्री में ऑडिशन देना शुरू किया. 2001 में स्मृति ने पारसी व्यवसायी जुबिन ईरानी से शादी कर ली. दो बच्चे हैं. स्मृति ने अभिनेत्री नीलम कोठारी को रिप्लेस कर 'ओह ला ला ला' शो को होस्ट किया. फिर उन्हें एकता कपूर के सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में प्रमुख किरदार मिला. इससे वे घर-घर में प्रसिद्ध हो गईं. इसके अलावा स्मृति ने 'ये है जलवा' शो होस्ट किया. इसके बाद स्मृति राजनीति में आ गईं.
2003 में आईं राजनीति में, भाजपा में शामिल हुईं
स्मृति 2003 में राजनीति में आईं. भाजपा में शामिल हुईं. उन्हें महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया. 2004 में स्मृति चांदनी चौक से कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ी पर हार गई. लेकिन उन्हें भाजपा की केंद्रिय समिति की एग्जीक्यूटिव मेंबर बनाया गया. 2010 में स्मृति पार्टी की राष्ट्रीय सचिव एवं महिला विंग की अध्यक्ष बनाई गईं. स्मृति 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ीं. हालांकि चुनाव तो हार गईं पर राहुल को कड़ी चुनौती दी. फिर भी मोदी सरकार में उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. स्मृति मोदी कैबिनेट की सबसे युवा महिला सदस्य बनीं. बाद में स्मृति को कपड़ा मंत्रालय का मंत्री बनाया गया. 2011 में स्मृति ईरानी को राज्यसभा भेजा गया. 2011 से लेकर मई 2014 तक कोयला एवं स्टील कमिटी की सदस्य रहीं. 2012 में भाजपा का उपाध्यक्ष बनाया गया. 2014 में मानव संसाधन विकास मंत्री बनीं.
विवादों से भी घिरी रहीं स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी कई विवादों में भी घिरी. पहला विवाद उनकी शिक्षा को लेकर हुआ. विपक्ष ने कहा कि वह शिक्षा मंत्री बनने की योग्यता नहीं रखती. विवाद तब शुरू हुआ, जब स्मृति के 2004 और 2014 के शैक्षणिक योग्यता में अलग जानकारी दी गई. 2004 में स्मृति ने एफिडेविट में दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट डिग्री में स्नातक होने की बात लिखी. 2014 में स्मृति अमेठी से राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं थी तो उन्होंने 1994 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स पार्ट-1 में स्नातक होने की बात लिखी. जेएनयू एवं हैदराबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमूला की खुदकुशी मामले में भी स्मृति विवादों में आई.
अंतिम यात्रा में सुरेंद्र सिंह के शव को दिया कंधा
अमेठी में बीजेपी कार्यकर्ता और स्मृति ईरानी के खासे करीबी सुरेंद्र सिंह की हाल ही में हत्या कर दी गई. अमेठी से सांसद बनीं स्मृति ईरानी को खबर मिली तो वे कुछ ही घंटों में दिल्ली में मृतक सुरेंद्र सिंह के शोक में डूबे परिवार से मिलने लखनऊ पहुंच गई और इतना ही नहीं, उन्होंने अंतिम यात्रा में सुरेंद्र सिंह के शव को कंधा भी दिया.