केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को कहा कि वे पक्के तौर यह नहीं कह सकती हैं कि वह 2021 में इंडियन वुमेन साइंस कांग्रेस का उद्घाटन करने के लिए उपलब्ध रहेंगी. स्मृति ईरानी ने यह बात पंजाब के जालंधर में आयोजित इंडियन साइंस कांग्रेस के कार्यक्रम में बोलीं. वुमेन साइंस कांग्रेस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि 2019 का साल आसान नहीं होगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्मृति ईरानी ने कहा, '2020-21 के लिए विजय लक्ष्मी सक्सेना इंडियन वुमेन साइंस कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई हैं. उन्होंने मुझे 2021 के एक सत्र के लिए आमंत्रित किया है. मैं नहीं जानती कि 2021 में मेरे आसपास क्या होगा? लेकिन फिर भी मैं उनके निमंत्रण को अनुग्रह और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करती हूं.'
बता दें कि स्मृति ईरानी 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से मैदान में उतरी थीं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा,' मेरी 15 साल की बेटी है और 10वीं की परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई है जबकि बेटा 12वीं में है. मेरा मतलब है कि 2019 हममें से किसी के लिए आसान नहीं होगा.'
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने यह भी कहा कि भारत को यदि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में बेहतर भविष्य चाहिए तो उसे इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए उचित एवं आकर्षक भविष्य सुनिश्चित करना होगा. ईरानी ने इस बात पर जोर दिया कि लैंगिक समानता को साकार करना अकेले महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है और पुरुषों को भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.
हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मसलन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में मिली जीत से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. इसलिए आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर वह तमाम तरह की कवायदों में जुट गुई है. राजनीतिक गलियारे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को लामबंद करने का प्रयास कर रहे हैं.
लामबंदी से बढ़ा विपक्ष का भरोसा
आगामी लोकसभा चुनाव इस साल अप्रैल मई में हो सकते हैं. पूरा विपक्षी खेमा एकजुट हो रहा है. बिहार में एनडीए का हिस्सा रहे आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हाथ थाम चुके हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी), जीतन राम मांझी का हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा और शरद यादव की पार्टी के अलावा वाम दल इस महागठबंधन में शामिल हैं. चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी एनडीए से अपना अलग रास्ता चुन चुकी है. तेलंगाना चुनाव में टीडीपी-कांग्रेस साथ दिखीं.जबकि भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाली एनडीए फिर सत्ता में लौटने का दावा कर रही है.