केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन की पढ़ाई अचानक बंद करने का मानव संसाधन मंत्रालय का फैसला जर्मनी को इस कदर आहत कर गया कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और उनसे इस विवाद को खुद देखने का आश्वासन हासिल किया. करीब 1,100 स्कूलों का संचालन करने वाला केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) भी जर्मन भाषा की पढ़ाई जारी रखना चाहता है. लेकिन फैसला ले लिया गया है और उसके साथ ही कई पक्ष प्रभावित भी हो रहे हैं.
बीच सत्र में भाषा बदली
केवीएस ने जर्मन भाषा की पढ़ाई को चरणबद्ध तरीके से दो अकादमिक वर्षों में खत्म करने की पेशकश की, लेकिन मंत्रालय ने बीच सत्र में पढ़ाई बंद करने का निर्देश दिया. यानी तीसरी भाषा जर्मन की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब अकादमिक सत्र के आखिरी महीनों में छठी क्लास से संस्कृत की पढ़ाई करनी होगी. सालाना परीक्षा के कुछेक महीने पहले नई भाषा सीखने के लिए छात्रों को मजबूर करने के फैसले को जायज ठहराते हुए स्कूल शिक्षा सचिव राजर्षि भट्टाचार्य कहते हैं, ''नई भाषा सीखने की छात्रों की क्षमता को कम करके मत आंकिए.’’
कारगर नहीं फॉर्मूला
1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल त्रिभाषा फॉर्मूले के मुताबिक स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी और कोई एक आधुनिक भारतीय भाषा पढ़ाई जानी चाहिए. इसके पीछे मूल विचार यह था कि उत्तर भारतीय छात्र कोई दक्षिण भारतीय भाषा पढ़ेंगे और दक्षिण के केंद्रीय विद्यालयों के छात्र हिंदी पढ़ेंगे. लेकिन आधुनिक भारतीय भाषाओं के मद में संस्कृत या किसी प्राचीन भारतीय भाषा की पढ़ाई का अपवाद भी जोड़ दिया गया. यह फॉर्मूला केंद्रीय विद्यालयों में उतना कामयाब नहीं रहा.
छात्र अमूमन तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत लेना ही पसंद करते क्योंकि उनके अभिभावकों के तबादले की वजह से अक्सर स्कूल बदलना पड़ता और ऐसे में किसी क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई की कोई तुक नहीं बनती. फिर, 2008 में केवीएस ने जर्मन, फ्रेंच, जापानी, मैंडरिन और स्पेनिश जैसी विदेशी भाषाओं की पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया. विदेशी भाषा की पढ़ाई छठी से आठवीं तक अतिरिक्त भाषा के तौर पर शुरू की जानी थी और पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जर्मन की पढ़ाई शुरू की गई. जर्मन भाषा में छात्रों की बढ़ती दिलचस्पी को देखकर केवीएस ने छठी से आठवीं कक्षा तक वैकल्पिक तीसरी भाषा के तौर पर संस्कृत के बदले विदेशी भाषा पढ़ाने का फैसला किया. मैक्समूलर भवन/गोएथे इंस्टीट्यूट जर्मन भाषा के शिक्षकों की ठेके पर भर्ती करने और उन्हें प्रशिक्षित करने में मदद करने में हाथ बंटाने लगा तो इसकी पढ़ाई चल निकली.
कैसे बिगड़ी बात
गोएथे इंस्टीट्यूट के साथ 2011 के करार के बाद 504 केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन की पढ़ाई शुरू हुई और कुल 68,915 छात्र पढ़ रहे हैं. एनडीए सरकार के अधीन जब मानव संसाधन मंत्रालय के आदेश पर देश भर के स्कूलों में संस्कृत सप्ताह मनाया गया तो उसके बाद संस्कृत अध्यापकों की जनहित याचिका अदालत में आ गई. एचआरडी ने जर्मनी के राजनयिकों से कहा कि 2011 के करार का नवीकरण नहीं हो सकता क्योंकि उससे त्रिभाषा फॉर्मूले का उल्लंघन होता है. जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रैंक-वाल्टर स्टेनमीयर 6 से 8 सितंबर तक नई दिल्ली में थे और स्मृति ईरानी के साथ करार के नवीकरण पर दस्तखत की अध्यक्षता करने वाले थे. लेकिन मंत्रालय ने पहले ही मन बदल लिया था और स्टेनमीयर करार पर दस्तखत के बिना ही लौट गए.