विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी से बातचीत में जासूसी का मुद्दा उठाया और अपना विरोध जताया. स्वराज ने कहा, 'दोस्ती में जासूसी की कोई जगह नहीं होती, भारत ऐसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा.'
केरी ने अमेरिका खुफिया सेवा की ओर से की गई जासूसी का बचाव करते हुए कहा, 'हम भारत के साथ अपने रिश्ते को अहमयित देते हैं. हम आतंकवाद विरोधी लड़ाई और दोनों देशों को दूसरे के खतरों के संदर्भ में सूचना को साझा करने को भी महत्व देते हैं. सामान्य तौर पर अगर कोई मतभेद या सवाल खड़ा होता है तो हमारी कोशिश होती है कि हमारी खुफिया सेवाएं इसका समाधान करने के लिए काम करें.'
भारत और अमेरिका ने गुरुवार को पाकिस्तान से कहा कि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के षडयंत्रकारियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए काम करे. दोनों देशों ने आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों को समाप्त करने और अलकायदा और लश्कर ए तैयबा सहित आतंकवादी नेटवर्क को छिन्न भिन्न करने का संकल्प भी लिया.
विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और भारत की यात्रा पर आए उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी के बीच लंबी वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में नेताओं ने सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की. उन्होंने आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों को समाप्त करने और अलकायदा और लश्कर ए तैयबा सहित आतंकवादी नेटवर्क को छिन्न भिन्न करने की फिर से प्रतिबद्धता जताई.
बयान के अनुसार नेताओं ने पाकिस्तान से नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के षडयंत्रकारियों को न्याय के दायरे में लाने की दिशा में काम करने को कहा. मुंबई आतंकवादी हमले के मामले की सुनवाई पाकिस्तान में स्थगित किए जाने के खिलाफ भारत द्वारा पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त को समन किए जाने और भारी विरोध दर्ज किए जाने के कुछ दिनों बाद यह बयान आया है.
उन्होंने कहा, 'हम उन सभी जगहों पर भारत के साथ सक्रिय रूप से काम करना जारी रखेंगे जहां हमारे साझा हितों को खतरा दिखता है और हम मंत्री की भावना का सम्मान करते हैं और उसे समझते हैं.' केरी ने कहा कि अमेरिका की नीति है कि वह खुफिया मामलों पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं करता. बहरहाल, उन्होंने कहा कि अमेरिका ने उसी वक्त बातचीत की थी जब मंत्री ने जासूसी से जुड़ी खबरों के बारे में सरकारी अधिकारियों को बताया.
सुषमा ने सीनेट के समक्ष लंबित उस आव्रजन विधेयक का भी मुद्दा उठाया जिससे अमेरिका में भारतीय आईटी पेशेवरों का जाना सीमित हो जाएगा. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने केरी से कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो गया तो उस वक्त पेशेवरों के बीच नकारात्मक संदेश जाएगा जब भारत विस्तार कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी यह मुद्दा उठाया.
WTO में खाद्य सुरक्षा का मुद्दा
दोनों नेताओं के बीच बातचीत में डब्ल्यूटीओ में खाद्य सुरक्षा पर भारत के रूख को लेकर भी चर्चा हुई. व्यापार संबंधित मुद्दों पर केरी ने कहा कि व्यापार संबंधी अवरोधों को खत्म करने और बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
उन्होंने कहा, 'हम अधिक प्रतिस्पर्धी बाजार का निर्माण करने के साथ अवसरों का ऐसा सेतु निर्मित कर सकते हैं जहां हमारे नौजवान लोग बहुत अधिक उम्मीद रखते हों. हर साल एक करोड़ भारतीय कार्य बल के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, इसको देखते हुए भारत सरकार इस महत्व को स्पष्ट तौर पर समझती है.'
केरी और सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच वाशिंगटन में सितंबर में होने वाली बैठक के लिए एजेंडे के रूप में विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पहलों पर भी चर्चा की. केरी शुक्रवार को मोदी से मिलेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'आने वाले हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंतबर में अमेरिकी यात्रा का मार्ग प्रशस्त करने के लिए हम सिलसिलेवार कदम उठाएंगे.'
केरी ने कहा, 'अब जब भारत की नई सरकार ने परिवर्तन और सुधार करने के लिए ऐतिहासिक जनादेश जीता है, तो एकसाथ मिलकर हमारे पास भारत की मदद करने, चुनौतियों से निपटने, दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने, दक्षिण एशिया की कनेक्टिविटी का समर्थन करने, स्वच्छ उर्जा के विकास, एशिया प्रशांत में अपनी सुरक्षा भागीदारी को गहरा करने का एकल अवसर है.'
भारत 21वीं सदी का अहम भागीदार
यह भरोसा जताते हुए कि अमेरिका और भारत 21वीं सदी के अपरिहार्य भागीदार हो सकते हैं. केरी ने कहा, 'नि:संदेह कुछ करके दिखाना महत्वपूर्ण है. शब्द आसान होते हैं. हमें काम करने की आवश्यकता है. वे असल में आगामी दिनों में संबंधों को परिभाषित करेंगे.' उन्होंने मोदी सरकार की योजना ‘सबका साथ, सबका विकास’ का भी उल्लेख किया. सुषमा स्वराज ने कहा कि अमेरिका के साथ रणनीतिक भागीदारी को लेकर कोई 'अस्पष्टता' नहीं है, क्योंकि विदेश नीति सरकार बदलने के साथ नहीं बदलती.
दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के प्रति अपनी कटिबद्धता दोहराई और जलवायु परिवर्तन, अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति और गाजा में संघर्ष सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की. गाजा संघर्ष पर भारत की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर सुषमा ने कहा कि भारत फलस्तीन के मुद्दों का सम्मान करता है और इस्राइल के साथ वह मित्रवत है.
सुषमा और केरी ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की निन्दा की और आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों और अलकायदा और लश्कर ए तैयबा सहित आतंकी नेटवर्कों को नष्ट करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, 'नेताओं ने पाकिस्तान से मुंबई हमलों के षड्यंत्रकारियों को न्याय की जद में लाने की दिशा में काम करने को कहा.' दोनों नेताओं ने एकीकृत, स्वतंत्र और संप्रभु अफगानिस्तान के लिए अपना समर्थन दोहराया और आतंकी तत्वों की धमकी के बावजूद मतदान के लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने के संकल्प के लिए अफगान लोगों की सराहना की.
गाजा में हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने को कहा और उम्मीद जताई कि टिकाउ संघर्ष विराम के लिए आवश्यक स्थितियां पैदा होंगी. केरी ने दोहराया कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की अपेक्षा करता है जिसमें भारत स्थाई सदस्य के रूप में शामिल हो.