सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि दलितों को श्मशान घाट पर शवों का दाह संस्कार नहीं करने दिया जा रहा. उनका ये भी कहना है कि दलितों की रिहाइशी बस्ती को घेरते हुए दीवार भी खड़ी कर दी गई है. इन कार्यकर्ताओं ने जातिगत भेदभाव के दो मामलों में सरकार से सख्त कार्रवाई करने की अपील भी की है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक 17 अगस्त को पेरियायुर में षणमुगावेल नाम के शख्स का निधन हो गया. लेकिन षणमुगावेल परिवार दलितों के लिए आवंटित जगह पर दाह संस्कार नहीं कर सका. ये बिना छत वाला खुला मैदान था और उस वक्त भारी बारिश हो रही थी. ऐसे में षणमुगावेल के परिवार ने सवर्णों के लिए निर्धारित जगह पर दाह संस्कार की अनुमति देने का आग्रह किया जहां ऊपर छत भी थी. लेकिन इस आग्रह को नहीं माना गया. मजबूरन षणमुगावेल के परिवार को बारिश रुकने का इंतज़ार करना पड़ा. इस बीच शव को चादर से ढक कर गीला होने से बचाने की कोशिश की गई.
षणमुगावेल के साथ आए लोग बहुत नाराज़ थे क्योंकि शव गीला हो गया था और पेट्रोल डाल कर दाह संस्कार करना पड़ा. छूआछूत के खिलाफ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मौके पर जाकर घटना की जानकारी ली. वो भी ये जानकर हैरान रह गए कि दलितों को कितने मुश्किल हालात में रहना पड़ रहा है.
इन कार्यकर्ताओं का दावा है कि दलितों की बस्ती को चारों ओर से घेर कर दीवार भी बनाई गई है जिससे कि वे अलग-थलग रहें. तमिलनाडु छूआछूत उन्मूलन आंदोलन के नेता चेल्लाकन्नु का कहना है, ‘तीन दलित बस्तिओं को गांव में अलग रखने के लिए उनके चारों ओर बड़ी दीवार बनाई गई हैं.’
कार्यकर्ताओं के मुताबिक नाले पर इस तरह अतिक्रमण किया गया है कि जिससे कि सारा गंदा पानी दलित बस्तियों में ही फैला रहता है और उसे निकासी के लिए जगह नहीं मिलती. कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार से तत्काल दखल देकर समुचित कार्रवाई का आग्रह किया है. ये पहली बार नहीं जब शहर में ऐसी दीवार खड़ी करने मामला सामने आया है.
22 अगस्त को वेल्लोर में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई. वहां भी दलित परिवार को शव के दाह संस्कार के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ा. यहां श्मशान गृह की ओर जाने वाले रास्ते पर सवर्णों का अतिक्रमण पाया गया.