रोटी बनाते हुए एक नन्हे बच्चे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. आजतक ने इस वायरल वीडियो का सच ढूंढ़ निकाला है. ये नन्हा लड़का पुणे के म्हात्रे पुल इलाके में रहता है. इसकी उम्र केवल चार साल है. आजतक जब इस मासूम के घर पहुंचा, तो ये सुबह-सुबह चाय पी रहा था.
बच्चे की मां ने बताया कि अंकित अन्य बच्चों से हटकर है. पढ़ाई में होशियार है और अभी जूनियर केजी में पढ़ता है, जो भी इसे पढ़ाया जाता है. उसे तुरंत याद हो जाता है.
बावर्ची की तरह रोटी बेलता है अंकित
अंकित ने सबसे पहले आजतक को गोल-गोल रोटियां बनाकर दिखाई. उसका तरीका बिल्कुल प्रोफेशनल था, जैसे कि एक बावर्ची की तरह रोज रोटी बनाता हो. अंकित का कमाल केवल रोटियां बेलने तक सीमित नहीं है. ये नन्हा बच्चा तवे पर बखूबी इन्हें सेंक भी सकता है.
रोटियां बनाने के बाद जब अंकित की मां ने उससे पूछा कि क्या ऑमलेट बनाओगे, तो हंसते हुए हां में जवाब मिला. और देखते ही देखते ऑमलेट तैयार हो गया.
आटे और बेलन से खेलना
अपने बेटे के इस हुनर के बारे में बताते हुए उसकी मां ने बताया कि जब अंकित एक साल का था, तभी से आटे और बेलन के साथ खेलना शुरू कर दिया. देखते ही देखते कुछ महीनों के अंकित ने गोलाकार रोटियां बेलना शुरू कर दिया. रोटी बनाने में मगन अपने बेटे को देख मां भी निश्चिंत हो गई. जब भी वो रसोई में खाना बनातीं तब अंकित को कुछ आटा और बेलन थमा देती और अंकित कुछ समय तक मां को तंग नहीं करता.
छोटी उम्र में रोटी बेलने लगा अंकित
बेटे को व्यस्त रखने के लिए उठाए हुए कदम से अनुराधा को पता नहीं था कि उसका बेटा एक दिन अच्छी खासी रोटियां बनाना सीख जाएगा. ऐसा हुनर जो बड़े-बड़ों को नहीं आता. बच्चे जिस उम्र में खिलौनों के साथ खेलते हैं, जिस उम्र में बच्चे अपने मां-पिता की उंगली पकड़कर चलना सीखते हैं. इस उम्र में अंकित ने रोटियां बनाना शुरू कर दिया.
टीवी के कुकिंग शो देखता है अंकित
इतना ही नहीं पिछले तीन सालों में अंकित ने रसोई में और भी स्वादिष्ट पकवान बनाना सीखा है. जैसे दीवाली की मिठाई, फ्राइड फिश, ऑमलेट भी बनाना सीख गया है. अंकित के माता-पिता का कहना है कि उसे कुकिंग के टीवी शो देखना पसंद है. उसने संजीव कपूर की रेसिपी सीखने की कोशिश की है और कुछ हद कर अंकित संजीव कपूर को फॉलो भी करता है.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर पिता को नहीं आता रोटी बनाना
अंकित के पिता सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, लेकिन उन्हें रोटी बनाना नहीं आता. उन्हें एक वाकया याद है जब उनके गांव में रोटी बनाने के लिए कोई नहीं था. अंकित की मां भी नहीं थीं, तो अंकित ने 15 से 20 रोटियां बनाई, तब जाकर घर में लोगों ने खाना खाया.
अंकित का जितना रसोई में दिल लगता है उतना ही उसका मन स्कूल में भी लगता है. माता पिता का कहना है कि अंकित की खुशी के लिए उसे जो करियर चुनना है. उसमें वे उसका साथ देंगे. अगर वो शेफ बनना चाहे तो उसे दुनिया के नामचीन कॉलेज में पढ़ाएंगे.