बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने ये याचिका दाखिल की थी. इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर्ष मंदर इस मामले में पक्षकार नहीं बन सकते हैं. उनका इस मामले में कोई लोकस नहीं बनता. सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई मुंबई में चल रही है. सीबीआई ने बाकी आरोपियों के साथ अमित शाह के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की थी. लेकिन निचली अदालत ने माना कि अमित शाह के खिलाफ आरोप नहीं बन रहे हैं.
कोर्ट ने याचिका खारिज करने के पीछे बताई ये वजह
सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि मुंबई की अदालत के अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त करने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए वो याचिका डालना चाहते हैं. मंदर के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा" ये मामला बेहद अहम् है, इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए इसे गुजरात से महाराष्ट्र ट्रान्सफर किया गया. सीबीआई ने इस मामले में चार्ज शीट दाखिल की जिसके मुताबिक अमित शाह आरोपी नंबर 16 थे. लेकिन उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया और सीबीआई ने इस फैसले को चुनौती तक नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के मुताबिक ऐसे मामले में कोई तीसरा शख्स भी दखल दे सकता है.
अमित शाह के वकील ने पुराने केस का दिया हवाला
दूसरी तरफ अमित शाह की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने संवैधानिक पीठ के ही एक फैसले का हवाला देते हुए कहा की आपराधिक मामले में कोई भी तीसरा व्यक्ति पक्षकार नहीं हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की संविधान पीठ के ही पुराने फैसलों के मुताबिक आपराधिक मामले में सम्बंधित पक्ष ही पक्षकार हो हो सकते हैं. कोई तीसरा व्यक्ति दखल नहीं दे सकता है इसलिए ये याचिका खारिज की जाती है.
हर्ष मंदर ने याचिका में ये भी कहा था कि कोर्ट सोहराबुद्दीन के भाई रबीबुद्दीन शेख की भी सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए कि आखिर उसने बॉम्बे हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस क्यों ली? जबकि वह लगातार इस एनकाउंटर मामले में शुरुआत से ही अदालती लड़ाई लड़ता रहा है.
सोहराबुद्दीन के भाई ने हाई कोर्ट में दी थी याचिका
गौरतलब है की 30 दिसंबर 2014 को मुंबई की सीबीआई अदालत ने अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीतिक वजहों से फंसाया गया था. वहीं पिछले साल नवंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने रबीबुद्दीन शेख की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कहा था कि वह स्वास्थ्य कारणों से केस आगे नहीं लड़ सकता. इसी पर हर्ष मंदर ने मांग की थी कि इसके पीछे की असली वजह की जांच होनी चाहिए. हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसी साल मार्च में इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह सुनवाई के लायक नहीं है और याचिकाकर्ता इसमें पीड़ित पक्ष नहीं है.