मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन ने शनिवार को न्यायपालिका की यह कहकर सराहना की कि हाल के कुछ सालों में संसद में कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.
अगले हफ्ते पदमुक्त हो रहे बालकृष्णन ने कहा कि अदालत के हस्तक्षेप की वजह से ही सरकार ने मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून तथा सूचना का अधिकार कानून बनाये. बालकृष्णन ने ‘ला एण्ड गवर्नेंस’ पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में कहा कि हाल के वर्षों में सचूना का अधिकार कानून और बच्चों के लिये मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो न्यायिक हस्तक्षेप से बन सके.
उन्होंने कहा ‘कार्यपालिका न्यायिक निर्देशों और दिशानिर्देशों पर भी जवाबदेह रही जो प्रगतिशील कानूनों का कारण बने.’ उन्होंने सरकार से खाद्य सुरक्षा विधेयक को भी कानून का रूप देने की अपील की. बालकृष्णन ने सरकार के कामकाज के बारे में कहा कि सरकार को नागरिकों के बेहतर जीवन के लिये कानून का शासन अपनाना चाहये और समाज के सभी तबकों की बेहतरी के लिये रणनीतियां बनानी चाहिये.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सुशासन सुनिश्चित करने के लिये मीडिया की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. मनोनीत मुख्य न्यायायाधीश एच एस कपाडिया भी समारोह में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकार और सरकार की जिम्मेदारी तभी सार्थक हो सकती है जब सबको न्याय मिल सके और इस संदर्भ में उच्च अदालतों को अपने फैसलों के परिणामों को समझना चाहिये.