केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह 2006 में निजी कंपनियों को कोयला ब्लॉक के किये गये आवंटन को रद्द करने के विकल्प की जांच कर रही है.
एटॉर्नी जनरल जी.ई. वाहनवती ने जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ को कहा कि आवंटन रद्द करने की न्यायालय की राय पर सरकार विचार कर रही है. वाहनवती ने कहा, 'मैंने सरकार के सामने अपना विचार पेश किया है. सरकार ने यह मामला उठाया है. इस पर सरकार विचार कर रही है. मैं बुधवार 15 जनवरी तक न्यायालय को इस बारे में सूचित करूंगा.'
2006 के बाद कोयला ब्लॉक के किये गये आवंटन को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने बुधवार को महाधिवक्ता से पूछा कि क्या कोयला ब्लॉक का आवंटन रद्द किया जा सकता है?
न्यायालय ने बुधवार को कहा था, 'अगर आप इसे रद्द कर रहे हैं, तब हमें इसे कानून के नजरिए से अलग कर देखना होगा. तब हम 2005 से पहले के आवंटन को देखेंगे.' वाहनवती ने गुरुवार को पेश किये गये प्रतिवेदन में दोहराया कि कोयला ब्लॉक के थोड़े से आवंटन से व्यक्ति को खनन के पट्टे का अधिकार नहीं मिल जाता. उन्होंने कहा कि खनन शुरू करने से पहले पर्यावरण और वन्य संबंधी जांच सहित कई स्तरों से गुजरना पड़ता है. न्यायालय ने इस पर कहा कि फिर सरकार किसका लिए इंतजार कर रही है.
न्यायमूर्ति लोढ़ा ने वाहनवती से पूछा, 'आप खुद कह रहे हैं कि आवंटन के पत्र लागू करने योग्य नहीं हैं, तब आप किसका इंतजार कर रहे हैं.' वाहनवती ने कहा, 'हम इसे रद्दे किए जाने का इंतजार कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'मैं सरकार के निर्देश का इंतजार कर रहा हूं.'