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ओडिशा: विधवा मां का शव उठाने नहीं आया कोई, साइकिल पर ले जाकर दफनाया

जब यह घटना सामने आई तो प्रशासन की नींद उड़ गई. आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की. एक अफसर ने बताया कि जानकी के पति का भी देहांत हो चुका था. वह अपने बेटी और बेटे के साथ मां के घर रहती थी.

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मदद के लिए नहीं आया कोई तो बेटे ने मां के शव को साइकिल पर ले जाकर दफनाया.
मदद के लिए नहीं आया कोई तो बेटे ने मां के शव को साइकिल पर ले जाकर दफनाया.

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ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में जातिवाद के कारण एक युवक को अपनी मां के शव को साइकिल पर ले जाकर दफनाना पड़ा. बताया जा रहा है कि महिला विधवा थी और वह सामाजिक बहिष्कार झेल रही थी. उसकी मौत के बाद कोई मदद के लिए नहीं आया. आखिर में उसके बेटे ने मां के शव को साइकिल पर लादा और चार किलोमीटर दूर छर्ला जंगल में दफनाया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 45 वर्षीय जानकी सिंहानिया अपने 17 वर्षीय बेटे सरोज के साथ रहती थीं. वह पानी भरने गई थी. इसी दौरान उसका पैर फिसल गया. वह गिर पड़ी और उसने दम तोड़ दिया.

बेटा सरोज मदद के लिए लोगों के पास गया. लेकिन समाज से बहिष्कार होने की वजह से उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया. मजबूर होकर वह अपनी मां के शव को साइकिल पर छर्ला जंगल में ले गया और उसे दफनाया.

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उड़ी प्रशासन की नींद...

जब यह घटना सामने आई तो प्रशासन की नींद उड़ गई. आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की. एक अफसर ने बताया कि जानकी के पति का भी देहांत हो चुका था. वह अपने बेटी और बेटे के साथ मां के घर रहती थी.

इसके पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं...

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की घटनाएं सामने आई हों. इसके पहले पिछले साल यहां के गजपति जिले में एक पिता अपनी सात वर्षीय बेटी को कंधे पर लादकर पोस्टमार्टम के लिए ले गया था. उसकी बेटी की मौत भूस्खलन में हुई थी.

वहीं, 2016 में भी कालाहांडी जिले में एक शख्स अपनी पत्नी के शव को कंधे पर उठाकर 10 किमी तक पैदल अस्पताल लेकर गया था. उस समय भी इस घटना की देशभर में कड़ी आलोचना हुई थी.  

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