सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को आदेश की कॉपी जारी की जिसमें कहा गया है कि सीबीआई इस बात को साबित करने में नाकाम रही कि सोहराबुद्दीन की हत्या के एवज में आरोपियों को राजनीतिक या आर्थिक लाभ मिला था. कोर्ट के इस आदेश को आधार बनाते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हमला बोलते हुए प्रशासनिक एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर राजनीतिक विरोधियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह पूरा मामला कांग्रेस के विशाल षडयंत्र को उजागर करता है. साल 2010 में कांग्रेस नेतृत्व के आदेश पर गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह को एक राजनीतिक षडयंत्र के तहत प्रताणित करने का प्रयास किया गया. कांग्रेस के आदेश पर सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार किया और अदालत के सामने कहा कि हम उनसे पूछताछ नहीं सिर्फ गिरफ्तार करना चाहते हैं. उसी दिन चार्जशीट फाइल हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि जब अमित शाह ने जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दी तब 2010 अक्टबूर में अदालत ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और उन्हें रिहा कर दिया.
स्मृति ईरानी ने कहा कि स्पेशल जज सीबीआई ने अमित शाह की 30 दिसंबर 2014 की डिस्चार्ज एप्लिकेशन सुनते वक्त अपनी राय रखी कि ये केस सरासर राजनीतिक कारणों के लिए उनके ऊपर थोपा गया. लेकिन एक बार फिर इस जजमेंट को चैलेंज करते हुए सोनिया गांधी की किचन कैबिनेट के मेंबर हर्ष मंदर ने अमित शाह के खिलाफ अपील की. हर्षमंदर यूपीए के कार्यकाल में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) का हिस्सा थे. कांग्रेस के षडयंत्र को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी मुंह की खानी पड़ी. हाल ही में जज ने कहा कि उन्होंने 210 गवाहों की जांच की, सभी दस्तावेज पढ़ने के बाद जज का स्टैंड है कि पूरी जांच एक राजनीतिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए थी. सीबीआई द्वारा सबूत गढ़े गए.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में रह कर प्रशासनिक ढांचे का दुरुपयोग कर अपने पैरों तले रौंदते रही. लेकिन वर्षों से चले आ रहे कांग्रेस के प्रपंच को मुंह की खानी पड़ी. स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस ने अमित शाह के बारे में कहा कि उन्हें तड़ीपार घोषित किया गया. इस मामले में अमित शाह ने स्वयं कोर्ट के समक्ष कहा कि वो अपने राज्य और परिवार से दूर रहेंगे ताकि निष्पक्ष भाव से जांच हो पाए. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीबीआई के माध्यम से सबूत गढ़े ताकि वो अमित शाह राजनीतिक रूप से बर्बाद कर सके.
गौरतलब है कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई जैसी एक शीर्ष जांच एजेंसी के पास एक पूर्व निर्धारित सिद्धांत और पटकथा थी, जिसका मकसद राजनीतिक नेताओं को फंसाना था. कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों के शुरूआती बयानों में राजनीतिक षड्यंत्र की बात नहीं थी मगर सालों बाद षड्यंत्र की बात लाई गई.