कांग्रेस पार्टी पर 2 जी घोटाले के गंभीर आरोप लगाए गए थे. आंकड़े बढ़ा-चढ़ा कर पार्टी को बदनाम किया गया. कोर्ट में घोटाला साबित नहीं हो पाया. जिन्होंने कांग्रेस पर उंगली उठाई उन्हें बीजेपी सरकार में प्रमोशन मिल गया. यह बातें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कही. मौका था मुंबई में हुए इंडिया टुडे कॉन्क्लेव का.
यहां उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर लगे आरोपों और आगे की रणनीति पर खुलकर बात की. सोनिया ने इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी के 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर पूछे गए सवाल पर कहा कि, "जो घोटाला हुआ ही नहीं उसे लेकर बीजेपी ने बवाल मचाया. आज जब सच सबके सामने है तो बीजेपी और सीएजी चुप बैठी हुई है. सब काम किसी और के इशारों पर हुए थे."
उन्होंने आगे कहा कि, "गुजरात सरकार में गैस और पेट्रोलियम से जुड़ा 20 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ, लेकिन उसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है. ना सीएजी और ना ही सरकार. हमने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया पर हमें बोलने नहीं दिया जाता है. हम चर्चा भी करने की बात करते हैं तो सरकार इससे दूर भागती है."
बता दें कि सोनिया का इशारा तत्कालीन सीएजी विनोद राय की ओर था. जो फिलहाल बीसीसीआई के सीओए चीफ (कमिटी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटर) हैं. उस वक्त विनोद राय ने ही अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार के खजाने को हुए नुकसान की बात कही थी.
क्या था 2जी स्पेक्ट्रम मामला...
साल 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्याकल में 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया. इस आवंटन पर 2010 में पहली बार सवाल तब उठा जब देश के महालेखाकार और नियंत्रक (सीएजी) विनोद राय ने अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचने की बात कही गई.
रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर स्पेक्ट्रम दिया गया. सीएजी ने सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों के नुकसान होने का दावा किया था.
यही नहीं रिपोर्ट में यह तक कहा गया कि यदि लाइसेंस आवंटन नीलामी के आधार पर होता तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का इजाफा होता.
ए राजा पर लगे ये आरोप
इस घोटाले में तत्कालीन टेलिकॉम मंत्री ए राजा पर आरोप लगा कि उन्होंने आवंटन के नियमों में बदलाव करने के लिए टेलिकॉम कंपनियों से कमीशन लिया. इसके साथ ही यह भी कहा गया कि ए राजा ने इस बदलाव के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी सलाह को भी दरकिनार करते हुए कुछ टेलिकॉम ऑपरेटर को फायदा पहुंचाने का काम किया था.
आरोप में यह भी कहा गया था कि ए राजा ने लाइसेंस के लिए आवेदन की तारीख में बदलाव किया और 2008 में हुए इस आवंटन के लिए 2001 के दर से एंट्री फीस वसूली जिसके चलते केन्द्रीय खजाने को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा.
राजा को हुई थी 15 महीने की जेल
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सीएजी के 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान से इतर 30,984 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही. इसके बाद 2012 में ए राजा के कार्यकाल में आवंटित सभी टेलिकॉम लाइसेंस को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. हालांकि, इससे पहले नवंबर 2010 में ए राजा ने टेलिकॉम मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई की जांच के बीच राजा को फरवरी 2011 में जेल भेज दिया गया जहां से उन्हें 15 महीने के बाद रिहाई मिल पाई.
कानीमोई पर ये थे आरोप
ए राजा के अलावा डीएमके प्रमुख एम करुणानिधी की बेटी कानीमोई पर भी 2जी घोटाले में आरोप लगा था. आरोपों के मुताबिक, कानीमोई के संबंध उस कलाइगनार टीवी से बताए गए. जिस पर 2जी आवंटन में स्वान टेलिकॉम प्राइवेट लिमिटेड से कमीशन लेने का आरोप लगा था.