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'नटवर बम' से सहमी कांग्रेस, निष्‍क्रिय करने की जद्दोजहद में जुटीं सोनिया और प्रियंका

'नटवर बम' अभी गिरा भी नहीं है और कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी पहले ही उसके प्रभाव को कम या खत्‍म करने की जद्दोजहद में जुट गई हैं. सोनिया गांधी और उनकी बेटी प्रियंका वाड्रा ने कुछ दिन पहले पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह से उनके जोरबाग स्थित घर में करीब एक घंटे तक बातचीत की.

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सोनिया गांधी
सोनिया गांधी

'नटवर बम' अभी गिरा भी नहीं है और कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी पहले ही उसके प्रभाव को कम या खत्‍म करने की जद्दोजहद में जुट गई हैं. सोनिया गांधी और उनकी बेटी प्रियंका वाड्रा ने कुछ दिन पहले पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह से उनके जोरबाग स्थित घर में करीब एक घंटे तक बातचीत की.

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कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और नटवर सिंह के बीच 2005 से ही कोई खास संबंध नहीं हैं और इस बीच दोनों में बातचीत भी न के बराबर हुई है. लेकिन अचानक से दोनों के बीच नटवर सिंह के घर पर 50 मिनट तक हुई बातचीत ने सबका ध्‍यान खींच लिया है. कुछ-एक कार्यक्रमों और संसद के सेंट्रल हॉल में भी दोनों एक-दूसरे के आस-पास देखे गए, लेकिन दोनों के बीच बिल्‍कुल भी बातचीत नहीं हुई.

सोनिया गांधी और प्रियंका के नटवर सिंह के घर जाकर उनसे मुलाकात का कोई ठोस कारण अब तक सामने तो नहीं आया है. मुलाकात गुपचुप थी, इसलिए अब भी रहस्‍यमयी बनी हुई है. हो सकता है कि यह मुलाकात मान-मनौव्‍वल की पहल हो. पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और हो सकता है कि इसलिए उसे अपने पुराने दिग्‍गज याद आ रहे हों. हालांकि अंग्रेजी अखबार 'मेल टुडे' को सूत्रों ने बताया है कि तीनों के बीच नटवर सिंह की किताब को लेकर बातचीत हुई. खबर है कि लगभग एक घंटे की बातचीत में नटवर सिंह की किताब ही छाई रही, जो 7 अगस्‍त को रिलीज हो रही है.

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नटवर सिंह की इस किताब का नाम ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ है और इसे उन्‍होंने खुद ही लिखा है. इस किताब को पूर्व एटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी 7 अगस्‍त को रिलीज करेंगे और रिलीज से पहले बचे समय में सोनिया गांधी ने यह मुलाकात की है. सोनिया गांधी चाहती हैं कि जिस तरह की फजीहत संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के कारण हुई थी, वैसी नटवर सिंह की किताब से न हो. माना जा रहा है कि प्रियंका ने नटवर सिंह से किताब की रिलीज रोकने के लिए भी निवेदन किया है.

1984 में कांग्रेस में शामिल होने वाले नटवर सिंह को पहले सरकार से बाहर किया गया और फिर उन्‍हें पार्टी से भी निकाल दिया गया था. उन्‍होंने इस किताब में अपने जीवन के एक-एक पहलू को उजागर किया है. किताब में उन्‍होंने इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी, नरसिम्‍हा राव और मनमोहन सिंह सरकार तक अपने अनुभवों को साझा किया गया है.

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