पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस मंगलवार को ‘असहिष्णुता के माहौल’ के खिलाफ संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च करेगी. इस मार्च का उद्देश्य राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से यह अपील करना है कि वे ‘असहिष्णुता के माहौल’ को समाप्त करने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करें.
कांग्रेस के इस मार्च पर निशाना साधते हुए बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने कहा कि भारत आगे की तरफ बढ़ रहा है और सोनिया गांधी कुंठा में मार्च कर रहीं हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध मार्च कुंठा का मार्च है. जब भी वे सत्ता से बाहर होते हैं, कुंठित हो जाते हैं.
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सोनिया, राहुल गांधी और पार्टी के अन्य नेता संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक मार्च का नेतृत्व करेंगे. कांग्रेस कार्यसमिति, कांग्रेस महासचिव और पदाधिकारी एवं पार्टी सांसद राष्ट्रपति से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे, जिन्होंने बार-बार सहिष्णुता और भारतीय सभ्यता की बहुलता के भारत के विविधतापूर्ण बुनियादी मूल्यों को संरक्षित करने की जरूरत को रेखांकित किया है.
विपक्षी दल कांग्रेस का यह कदम कलाकारों, लेखकों और वैज्ञानिकों की ओर से कथित रूप से उस ‘बढ़ती असहिष्णुता’ को लेकर विरोधों की पृष्ठभूमि में आया है जो कि दादरी घटना, गोमांस मामला और अन्य ऐसी घटनाओं में झलकता है. बता दें कि दो दिन पहले सोनिया ने बढ़ती असहिष्णुता को लेकर अपनी चिंता जताई थी और विभाजनकारी ताकतों के नफरत फैलाने के ‘शैतानी षड्यंत्र’ से लड़ने की प्रतिबद्धता जताई थी. उन्होंने कहा था कि यह देश की एकता को खतरा उत्पन्न करता है.
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए सोनिया गांधी पर निशाना साधा है कि कांग्रेस अध्यक्ष को राजग को असहिष्णुता पर सीख देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और पार्टी को 1984 सिख विरोधी दंगों के लिए ‘अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए’ जिसमें हजारों लोगों का कत्लेआम हुआ था.
कांग्रेस ने यह कहते हुए पलटवार किया कि 2002 में गोधरा कांड के बाद हुई हिंसा की तरह ही मोदी 2015 में भी ‘राजधर्म’ भूल गए हैं, क्योंकि नफरत और हिंसा के कृत्यों को लेकर ‘अपनी चुप्पी के चलते वह असहिष्णुता के समर्थक हैं.’
इनपुट- भाषा