यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मांग की है कि लोकसभा में विपक्ष का नेता उनकी पार्टी से हो. बताया जाता है कि उन्होंने लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखकर यह बात कही है. वैसे इस बात की संभावना कम ही है कि बीजेपी लोक सभा में विपक्ष के नेता का पद कांग्रेस को देगी.
नियमों के मुताबिक लोक सभा में विपक्ष का नेता उसी पार्टी के सदस्य को बनाया जाएगा जिसके पास कुल सदस्यों की संख्या का दस प्रतिशत होगा. यानी उसी दल के सांसद को विपक्ष का नेता बनाया जाएगा जिसके पास 55 सदस्य हैं.
कांग्रेस के पास इस समय सिर्फ 44 सांसद हैं और पार्टी इस पद पर अधिकार नहीं जता सकती. यह सत्तारूढ़ दल की इच्छा पर निर्भर करेगा कि वह कांग्रेस को यह पद दे या नहीं. उसके पास इस समय 282 सदस्य हैं. एनडीए के कुल सदस्यों की तादाद 336 है.
लोकसभा में तीन बार ऐसे मौके आए हैं जब विपक्ष का कोई नेता नहीं बनाया गया. सबसे पहले तो जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में विपक्ष का कोई नेता नहीं था. उसके बाद 1984 में भी लोक सभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं था. उस समय राजीव गांधी ने 404 सीटें जीती थीं और किसी पार्टी को दस प्रतिशत सीटें तक नहीं आई थीं. उस समय सीपीएम को अधिकतम 22 सीटें मिली थीं.
कांग्रेस को एक ही संतोष हो सकता है कि नंबरों के आधार पर उसे राज्य सभा में विपक्ष का नेता बनाने का अधिकार मिला है. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद वहां पार्टी के नेता बनाए गए हैं.
लोक सभा में विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है और संसद में उसे एक कक्ष भी मिलता है. किसी भी महत्वपूर्ण अवसर पर उससे सलाह मशविरा करने की परंपरा भी रही है.