एआईएडीएमके के विधायक कुछ ही दिनों में मिल कर जयललिता को पार्टी की नेता और मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति दे सकते हैं. कुछ ही दिनों में नए कैबिनेट के साथ उनकी ताजपोशी भी हो सकती है. इन तमाम राजनीतिक उतार-चढ़ावों के बीच जो समीकरण बैठ रहे हैं, उनसे कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि जयललिता तमिलनाडु में समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने के मूड में हैं.
कोर्ट से जयललिता को अयोग्य घोषित किया जा चुका है, ऐसे में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 6 महीने के भीतर ही उन्हें विधायक का चुनाव लड़कर जीतना अनिवार्य होगा. तमिलनाडु विधानसभा चुनाव भी एक साल के भीतर ही होने वाले हैं, ऐसे में जयललिता नहीं चाहेंगी कि वह 6 महीने के भीतर ही दो बार जनता के बीच चुनाव में उतरें. राजनीतिक पंडितों की मानें तो इसका एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि जयललिता जनता से मिल रही सहानुभूति को भी जल्द से जल्द भुना लेना चाहेंगी.
आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार को बड़ी राहत दी थी. कोर्ट ने विशेष अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री को 4 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि जयललिता के दिमाग में क्या चल रहा है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले के बाद से उन्होंने अभी तक पार्टी के किसी से भी बड़े नेता से मुलाकात नहीं की है यहां तक कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले पनीरसेल्वम से भी उनकी मुलाकात अभी नहीं हुई है.