झारखंड के राज्यपाल के शंकरनारायणन ने रविवार को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को प्रदेश में नई सरकार बनाने का न्यौता दे दिया. राजभवन सूत्रों ने बताया कि सोरेन की राज्यपाल से 10 मिनट की मुलाकात हुई. उसके बाद राज्यपाल ने उन्हें 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे शपथ लेने का निमंत्रण दे दिया.
झामुमो प्रमुख ने शनिवार को भाजपा विधायक दल के नेता रघुवर दास और एजेएसयू विधायक दल के नेता सुदेश महतो के साथ राज्यपाल से मुलाकात करके उन्हें 42 विधायकों की सूची सौंपी थी. इसके बाद शनिवार देर रात जद (यू) के समर्थन के बाद यह संख्या 44 हो गई थी. सोरेन का समर्थन करने वाले कुल विधायकों में 18 उनके दल के, 18 भाजपा के, दो जद (यू) के, पांच एजेएसयू के और एक जेजेएम के हैं. कांग्रेस ने कहा कि वह राज्यपाल के फैसले को मानेगी.
पांच वर्ष में दूसरी बार कांग्रेस को भाजपा से संख्या बल की बाजीगरी में शिकस्त खानी पड़ी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन की अगुवाई में भाजपा झारखंड में सरकार बनाएगी. विधायकों की संख्याओं का खेल वर्ष 2005 में शुरू हुआ जब त्रिशंकु विधानसभा में कांग्रेस और राजद ने सोरेन को सरकार बनाने में बाहर से मदद की. सोरेन की सरकार के नौ दिन ही हुए थे कि भाजपा ने विधायकों के संख्या बल में सेंध लगा कर परिस्थितियां अपने पक्ष में कर ली और राजग का सत्ता पर कब्जा हो गया.
भाजपा एजेएसयू के दो विधायकों सहित पांच निर्दलीय विधायकों के समर्थन को लेकर आश्वस्त है. इस बार भाजपा 23 दिसंबर को चुनाव परिणाम के घोषित होने के बाद दो दिन तक चुप रही. झामुमो को कांग्रेस द्वारा समर्थन देने को लेकर हो रही देरी को देखते हुए भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने झारखंड में डेरा डाल दिया. एजेएसयू प्रमुख सुदेश महतो द्वारा सोरेन को समर्थन पत्र सौंपने के बाद पीसीसी के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बालमुचू उनके घर पहुंचे. जहां तक संख्या बल की बात है वर्ष 2006 के मध्य में निर्दलीय विधायक मधु कोडा को अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन मिलने और कांग्रेस एवं राजद के बाहर से समर्थन देने के चलते अर्जुन मुंडा की अगुवाई वाली राजग सरकार को वर्ष 2006 में झारखंड की सत्ता से बाहर होना पड़ा था.