प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दक्षिण एशियाई देशों के बीच ऐतिहासिक गठजोड़ की बात कहते हुए दक्षिण एशियाई खेलों के 12वें संस्करण का उद्घाटन किया. पांच से 16 फरवरी 2016 तक चलने वाले साउथ एशियन गेम्स का आयोजन गुवाहाटी और शिलांग में हो रहा है. इस मौके पर पीएम ने कहा कि यह सिर्फ खेलों का मंच नहीं है, बल्कि व्यवसाय के जरिए क्षेत्र में अमन और समृद्धि लाने का भी एक जरिया है.
रंगारंग समारोह में खेलों के उद्घाटन की घोषणा करते हुए मोदी ने कहा कि इन खेलों से प्रतिभागी खिलाडियों में आपसी तालमेल मजबूत होगा. पीएम ने खचाखच भरे इंदिरा गांधी एथलेटिक्स स्टेडियम में अपने संबोधन के दौरान कहा, 'ये खेल व्यवसाय, बातचीत और खेल गतिविधियों के जरिये क्षेत्र में अमन और समृद्धि लाने का जरिया हो सकते हैं. इन 12 दिनों में आप जो मित्रता बनाएंगे, वे यादें ताउम्र आपके साथ रहेंगी. खेलों के मैदान पर हम आपसी अंतर भूल जाते हैं और खेल भावना व रोमांच से एक दूसरे से जुड़ जाते हैं.'
'विकास के मौकों की तलाश'
मोदी ने कहा कि दक्षिण एशियाई खेल क्षेत्र के लिए विकास के मौकों की तलाश का एक मौका है. उन्होंने कहा, 'सभी दक्षिण एशियाई देश विकास के सफर में हमारे साझेदार हैं. दक्षिण एशिया के लिए भी मेरा नजरिया वही है जो भारत के लिए है. सबका साथ, सबका विकास.' पीएम ने आगे कहा, 'ये खेल दक्षिण एशियाई देशों की एकजुटता का जश्न है. यह तीन 'टी' का संगम है- टीमवर्क, टुगैदरनेस और टैलेंट.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यक्ति के विकास के लिए खेल जरूरी है. गौरतलब है कि आठ सार्क देशों की इस 12 दिन तक चलने वाली प्रतियोगिता में मेजबान भारत के अपनी बादशाहत स्थापित करने की उम्मीद है. इसमें सार्क देशों के 2500 एथलीट भाग ले रहे हैं.
पहले 2012 में ही होना था आयोजन
दक्षिण एशियाई ओलंपिक परिषद के अंतर्गत करवाए जाने वाले सैग खेल चार साल के विलंब के बाद आयोजित करवाए जा रहे हैं. सैग खेलों का 12वां चरण 2012 में नई दिल्ली में कराया जाना था, लेकिन विधानसभा चुनावों के कारण इन्हें स्थगित कर दिया गया. इसके बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने दिसंबर 2012 और फरवरी 2014 के बीच निलंबित कर दिया, जिससे इसमें और देरी हो गई.
आईओसी द्वारा आईओए का निलंबन हटाए जाने के बाद खेलों की मेजबानी केरल को दिए जाने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन पिछले साल एक और विलंब के बाद इन्हें गुवाहाटी और शिलांग में आयोजित करने का फैसला किया गया. इस तरह इन दोनों शहरों को भारत के तीसरे सैग खेलों की मेजबानी का मौका मिला. इससे पहले 1987 में कोलकाता और 1995 में चेन्नई में इन खेलों को कराया गया था.