समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आम चुनाव से पहले मुस्लिम समुदाय को रिझाने की कोशिशें तेज कर दी हैं. इसके लिए वह सभी प्रभावशाली मुस्लिम संगठनों से संपर्क साधने और उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश में लगे हैं.
यूपी में अपनी मजबूत पैठ रखने वाले ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ और ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के शीर्ष लोगों के साथ मुलायम लगातार संपर्क में हैं.
जमीयत एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि यह बात सच है कि मुलायम हमारे साथ संपर्क में हैं. वह लखनऊ के हमारे कार्यक्रम में उपस्थित हुए थे और उन्होंने हमसे कुछ वादे किए हैं, जिनमें निर्दोष मुस्लिम युवकों की रिहाई अहम है. अगर वह इन वादों को पूरा करते हैं तो चुनाव में उन्हें मुस्लिम समुदाय की हिमायत हासिल हो सकती है.
पारंपरिक तौर पर जमीयत का झुकाव कांग्रेस की ओर रहा है, लेकिन हाल के कुछ वषरे’ में जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी और मुलायम के बीच नजदीकियां देखी गई है. इसकी बानगी हाल ही में जमीयत की ओर से आयोजित कुछ कार्यक्रमों में भी देखने को मिली है. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में बीते 23 फरवरी को हुए जमीयत के सम्मेलन में अखिलेश मुख्य अतिथि थे. कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता भी आमंत्रित किए थे, लेकिन वे नहीं पहुंचे.
इसी तरह 17 मार्च को लखनऊ में जमीयत के सम्मेलन में पहुंचकर मुलायम ने जमकर सुखिर्यां बटोरीं. इस सम्मेलन में कांग्रेस के कुछ नेता पहुंचे थे, लेकिन संगठन ने उनके प्रति वो गर्मजोशी नहीं दिखाई जो मुलायम के प्रति दिखाई.
सूत्रों की माने तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी के साथ भी मुलायम संपर्क में हैं. बोर्ड के एक सदस्य का कहना है कि हाल ही में राबे हसन नदवी ने मुलायम को एक पत्र लिखा है जिसमें मुख्य रूप से मुस्लिम युवकों की रिहाई की पैरवी की गई है. चुनावी मौसम में उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार और सपा पर दबाव बनाने के प्रयास के तहत ही पिछले दिनों मदनी और नदवी की आपस में भी मुलाकात हुई थी.
इन धार्मिक नेताओं के साथ मुलायम के संपर्क में रहने के बारे में पूछे जाने पर सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में शुरू से मुलायम की पैठ रही है और इन नेताओं से मिलना या उनसे बात करना कोई नयी बात नहीं है. हां, चुनाव नजदीक होने के कारण इसे ज्यादा तवज्जो दी जा रही है.
सपा सुप्रीमो इस बार बरेलवी तबके को भी खुश करके उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश में हैं. बरेलवी मुसलमानों की शीर्ष संस्था ‘बरेली मरकज’ के आला हजरत मौलाना सुभान रज़ा खां सुभानी मियां के सचिव आबिद खान को अखिलेश सरकार ने पिछले दिनों राज्य एकीकरण परिषद का उपाध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया.
मुलायम बीते कुछ महीनों से इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के नेता मौलाना तौकीर रज़ा खान के साथ बातचीत कर रहे हैं. तौकीर रज़ा की बरेली और आसपास के इलाकों तथा बरेलवी मुसलमानों के बीच अच्छी पैठ है.
तौकीर रज़ा ने कहा कि मुलायम सिंह के साथ मेरी मुलाकातें हुई हैं. मैंने उनसे दंगों की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की है. इस मांग को स्वीकार कर लिए जाने के बाद हम सपा के साथ समझौता कर सकते हैं. फिलहाल गठबंधन को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है. मुलायम के मुस्लिम संगठनों की हिमायत हासिल करने के प्रयास के बीच दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी उनका विरोध कर रहे हैं.