दागी नेताओं को सत्ता के सुख से रोकने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जहां आम जनता खुश हैं, वही समाजवादी पार्टी धीरे-धीरे खुलकर इसकी मुखालफत करती हुई सामने आने लगी हैं.
समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने बताया कि, 'हम सभी राजनीतिक नेताओं से बात कर संसद से एक संवैधानिक संशोधन करवाएंगें ताकि किसी भी राजनेता को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सके.
दागी नेताओं पर कोर्ट के फैसले के बाद सपा (समाजवादी पार्टी) पहली पार्टी है जो इस फैसले के खिलाफ कुलकर सामने आई है. माना जा रहा है कि पांच अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर काफी गहमगहमी रहेगी. एसपी महासचिव रामगोपाल यादव मानते हैं कि दागी नेताओं पर कोर्ट के इस फैसले में कई खामियां हैं और संसद में इस पर चर्चा हो नी चाहिए.
जबकि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी का मानना है कि हर मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. जबकि वित्तमंत्री चिदंबरम कहते हैं कि दागी नेताओं पर कोर्ट के फैसले के कानूनी पहलूओं सरकार विचार-विमर्श कर रही है.
कुछ दिन पहले भी सांसद और महासचिव नरेश अग्रवाल ने आज तक से खास वातचीत में कहा कि ये लोकतांत्रिक फैसला नहीं है. इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर करनी चाहिए नहीं तो सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों की राय जाननी चाहिए.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद तमाम दोषी नेताओं को सजा मिलते ही कुर्सी जाने का डर सताने लगा है, इसीलिये सियासी दलों में खलबली मच गई है. आय से अधिक संपत्ति मामले में कोर्ट के चक्कर काट रहे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तो आनन-फानन में दिल्ली पहुंचकर पीएम से भी मिल चुके हैं.