सीबीआई की आपसी लड़ाई में उसकी विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. इसको लेकर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने मीडिया के सामने सरकार का पक्ष रखा. इसमें उन्होंने सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने जो कदम उठाए, वे बिल्कुल ठीक थे.
सीबीआई में नंबर वन और नंबर दो की लड़ाई से मचे घमासान पर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह का कहना है, "विपक्षी जो बातें कर रहा हैं उन बातों में कोई दम नहीं है. जानबूझकर ऐसी बातें की जा रही है. सच्चाई यह है सीबीआई का जो भी भ्रष्टाचार के मामलों में काम होता है, उसका सुपरविजन सीवीसी के पास है. सीबीआई डायरेक्टर की भी जो नियुक्ति होती है वह भी सीवीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटी करती है. सीबीआई में जो भी सेलेक्शन होता है वह सीवीसी ही करती है. यहां तक की सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति भी सीवीसी करती है और उसका नाम प्रधानमंत्री के पास भेजती है. भ्रष्टाचार के मामलों में सभी मंत्रालयों में जो भी कार्रवाई होनी होती है वह सीवीसी की सलाह पर ही होती है.
सीवीसी कागज जब्त भी कर सकता है
यहां पर क्या तथ्य हैं? अगस्त महीने में सीबीआई में नंबर 2 स्पेशल डायरेक्टर ने आरोप लगाते हुए चिट्ठी लिखी कि वे एक भ्रष्टाचारी को गिरफ्तार करना चाहते थे लेकिन सीबीआई डायरेक्टर ने रोक दिया. डायरेक्टर ने उससे दो करोड़ घूस ली थी. यह आरोप नंबर टू ने नंबर वन पर अगस्त में लगाया. उसके बाद सीवीसी ने इन आरोपों के कागज मांगे जो उसको अधिकार था. सीवीसी कागज जब्त भी कर सकता है. तीन-चार बार पत्र लिखे लेकिन उसके बाद जब कागज नहीं मिले तब इस बीच में क्या किया गया ? लेकिन जिस पर आरोप लगाया था उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई.
निलंबित करने की सिफारिश कर सकती थी
सीवीसी ने अच्छा किया कि दोनों को अवकाश पर भेजा जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके. यह बिल्कुल सही है. सीवीसी की अनुशंसा पर सरकार काम करती है. डायरेक्टर पर जो आरोप था उसके जांच होनी थी. उन्होंने उस को बाधित किया, दूसरा उन्होंने अनुशासनहीनता की. जो कागज मांगे गए वह उन्होंने नहीं दिए. इसपर सीवीसी चाहती तो उनको निलंबित करने की सिफारिश कर सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और उनको अवकाश पर भेजा गया.
तुरंत कार्रवाई न होती तो कागज लेकर चले जाते
विपक्ष के आरोपों पर आरके सिंह का कहना है कि सरकार ने जो किया है एकदम सही किया है. कानूनी तौर से सीवीसी ने जो भी ऑप्शन चुना वह बहुत ही माइल्ड ऑप्शन चुना. सीवीसी के पास और बहुत से ऑप्शन थे कि इन को निलंबित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. यह संस्था को बचाने के लिए किया गया है. नंबर वन कहता है कि नंबर दो ने घूस ली है. नंबर टू कह रहा है पहले से ही नंबर वन ने घूस ली है.आधी रात को कार्रवाई करने पर आरके सिंह का कहना है कि तुरंत कार्रवाई न होती तो कागज लेकर चले जाते.
राफेल डील का कोई मामला नहीं था
राहुल गांधी की राफेल डील की जांच को बाधित करने के आरोप पर आरके सिंह का कहना है कि राफेल डील का कोई मामला नहीं था, यह तो झूठ बात है. राहुल गांधी को थोड़ी सी अक्ल होनी चाहिए. अगर सीवीसी क्लीन चिट आलोक वर्मा को देते हैं तो वापस आकर वही जांच करेंगे. अगर क्लीनचिट नहीं देती है और उनको हटाया जाता है तो जो भी नया डायरेक्टर आएगा वही सीवीसी समिति की अध्यक्षता में जांच करेगा.