इन दिनों कपड़ों और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का ऑॅनलाइन कारोबार उफान पर है. इसके समानांतर एक ऐसा भी कारोबार है जिसने ऑनलाइन रफ्तार पकड़ी हुई है और शायद इस बारे में सुनकर आपके होश उड़ जाएं.
उल्लू, मकड़ी, कछुए और सुरीली मैना से लेकर कई तरह के जानवरों को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है. बीते छह माह में उत्तरी भारत में कीड़े-चींटी खाने वाले पैंगोलिन की तस्करी में एकाएक उछाल आई है. तस्करों की नजर में आ चुके शल्कवाले इस छोटे-से स्तनपायी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.
ऑनलाइन बिक्री पर नजर डालने पर पता चलता है कि पूर्वोत्तर में पाई जाने वाली रंग-बिरंगी और खूबसूरत छिपकली तोकाय गेको के लिए खरीदार 20 लाख रुपये या इससे भी ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं.
वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) की साइबर विंग ने इस बारे में खोजबीन की है. ऑनलाइन शॉपिंग के मुश्किल से मिलने वाले डाटा को खंगालने पर पता चला कि दीपावली के दौरान उल्लुओं की तस्करी तेजी से बढ़ जाती है क्योंकि इसको देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है.
विभिन्न प्रजातियों की मकड़ियां भी ऑनलाइन ऑर्डर दी जा रही हैं. इन्हें लिफाफों में भरकर डिलीवर करना आसान है. पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और दक्षिण के कुछ राज्यों में पाए जाने वाले कछुए इंडियन स्टार टॉर्ट्स की भी भारी मांग है.
दक्षिण-पूर्वी एशिया में लोग इसे पालना पसंद करते हैं. तस्कर इस प्रजाति के कछुओं को बांधकर और छोटे बैगों में भरकर सिंगल ट्रिप कुरियर से क्षेत्रीय और पालतू जीव-जंतुओं के सबसे बड़े बाजार बैंकॉक भेज देते हैं.
फलता-फूलता कारोबार
भारत का सारा ध्यान जहां बाघ और गैंडों को बचाने में लगा है. वहीं दूसरी ओर छोटे घरेलू जीवों की तस्करी का समानांतर कारोबार तेजी से फैल रहा है. सारा कारोबार ऑनलाइन होने के कारण इस धंधे के सरगनाओं को पकड़ना अब और मुश्किल हो गया है.
डब्ल्यूसीसीबी के मुताबिक भारत में जीवों की तस्करी में नौ से दस सरगना शामिल हो सकते हैं. डब्ल्यूसीसीबी के अतिरिक्त निदेशक एस.बी. नेगी कहते हैं, '200 से ज्यादा वेबसाइटें जीवों के अवैध कारोबार में लिप्त हैं. हमने पिछले एक साल में इनमें से लगभग 40 की लगातार निगरानी की, जिससे पता चला कि इंडियन स्टार टॉर्ट्स को तस्करी कर भारत से अमेरिका के फ्लोरिडा या नेवादा या यूके के हैंपशायर भेजा जाता है. सी-कुकुंबर को म्यांमार भेजा जाता है और भारतीय तोते को ऑस्ट्रेलिया भेजा जाता है.'
कानूनी एजेंसियों के मुताबिक, कुछ स्थान 'वन्यजीवों के कारोबार के खास केंद्र’ हैं और यहां तस्करी काफी बड़े पैमाने पर हो रही है. इनमें चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा, दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्वी एशिया, यूरोपीय संघ की पूर्वी सीमाएं, मेक्सिको के कुछ बाजार, कैरिबियाई क्षेत्र और इंडोनेशिया के कुछ इलाके, न्यू गिनी और सोलोमन द्वीपसमूह इस धंधे के केंद्र हैं.
दिल्ली के आइजीआइ एयरपोर्ट के एक अधिकारी तस्करों के बारे में बताते हैं, 'गया और वाराणसी जीवों की तस्करी के प्रमुख केंद्र हैं जहां धार्मिक पर्यटन की आड़ में यह धंधा होता है.'
ऑनलाइन तस्करी
इस अवैध कारोबार को रोकने में पुलिस के हाथ इसलिए भी बंधे हैं क्योंकि घरेलू छोटे जीवों की तस्करी की रोकथाम के लिए कोई कानून ही नहीं है. इस कमी को सुधारने के लिए डब्ल्यूसीसीबी ने वन्यजीव (संरक्षण) कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है.
इंडिया टुडे से बातचीत में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा, 'फिलहाल वन्यजीवों के साथ हुए अपराधों के मामले शिकायत के तौर पर दर्ज किए जाते हैं और इसलिए न्याय मिलने में देरी होती है. वन्यजीवों का संरक्षण करने के लिए वर्तमान कानून में संशोधन करने की जरूरत है.'
इन मामलों में सीबीआई जांच के लिए केवल तीन राज्यों ने अपनी सहमति दी है. एक वन अधिकारी कहते हैं कि अपराध के लिए जुर्माना भरने के नियम के चलते भी कई तस्कर और कुरियर दंड से बच जाते हैं.