हाकी इंडिया की मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. चार बार स्थगित होने के बाद उसके चुनाव गुरुवार को बमुश्किल संपन्न हुए ही थे कि चंद घंटों बाद ही खेल मंत्रालय ने उसकी मान्यता रद्द कर दी.
भारत सरकार के अवर सचिव शंकर लाल द्वारा जारी बयान के अनुसार खेल मंत्रालय के दिशा निर्देशों की अवहेलना करने के कारण हाकी इंडिया के खिलाफ यह कदम उठाया गया है. मंत्रालय ने हाकी इंडिया को अस्थायी मान्यता दी थी. हाकी इंडिया ने हुए चुनाव में 83 वर्षीय विद्या स्टोक्स को अध्यक्ष पद के लिये उतारकर उम्र और कार्यकाल संबंधी खेल मंत्रालय के दिशा निर्देश को धता बताया.
हाकी इंडिया के महासचिव नरिंदर बत्रा ने पहले इस बारे में कहा था, ‘हम केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों को नहीं मानते. हाकी इंडिया सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत है और हम अपने संविधान का ही पालन करेंगे.’ विज्ञप्ति में कहा गया, ‘हाकी इंडिया ने खुद ही दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया है कि वह एक निजी और स्वायत्त संस्था है. {mospagebreak}
इसके अलावा उसने भारतीय हाकी महासंघ की मान्यता बहाल करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई 2010 के फैसले को भी स्वीकार कर लिया जिससे साबित होता है कि देश में हाकी के संचालन के लिये वह अकेला राष्ट्रीय खेल महासंघ नहीं है.’ इसमें आगे कहा गया, ‘आम तौर पर राष्ट्रीय खेल महासंघ आईओए से स्वतंत्र होते हैं लेकिन हाकी इंडिया का पंजीयन आईओए ने किया.
हाकी इंडिया को काफी नाजुक हालात में सरकार ने मान्यता दी और खेल के संचालन, विकास या प्रचार का कोई रिकार्ड नहीं होते हुए भी इसे ‘तुरंत राष्ट्रीय महासंघ’ मान लिया गया. आईओए द्वारा इसके संचालन से ही हाकी इंडिया का निजी ईकाई होने का दावा खोखला साबित हो जाता है.’ इसने कहा, ‘चूंकि हाकी इंडिया ने खुद को सार्वजनिक ईकाई मानने से इंकार कर दिया और सरकारी दिशा निर्देशों का भी पालन नहीं किया है लिहाजा यह सरकार से मान्यता की हकदार भी नहीं है.’