दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ ने आज आरोप लगाया कि श्रीलंका ने भारत के खिलाफ पांचवें और अंतिम एक दिवसीय मैच में हारने के डर से ‘हटने’ का फैसला किया और मैच रैफरी एलन हर्स्ट ने बिना वजह के मैच को रद्द कर दिया.
डीडीसीए के उपाध्यक्ष और पूर्व टेस्ट खिलाड़ी चेतन चौहान ने दावा किया कि जब मैच 23.3 ओवर के बाद रोक दिया गया तो अधिकारी विचार कर रहे थे कि इस मुकाबले को जारी रखना ठीक होगा या नहीं तो हर्स्ट ने उन्हें अधिकारिक रूप से बताया कि श्रीलंकाई टीम आगे खेलने में हिचक रही है, जिसने उस समय 83 रन पर पांच विकेट गंवा दिये थे. चौहान ने कहा, ‘‘मैच रैफरी ने मुझे अधिकारिक रूप से बताया कि एक टीम आगे खेलने को तैयार नहीं है और वह उन्हें खेलने के लिये बाध्य नहीं कर सकता. यह भारतीय टीम नहीं हो सकती क्योंकि महेंद्र सिंह धोनी खेलने के लिये तैयार थे. श्रीलंकाई टीम ने 83 रन पर पांच विकेट गंवा दिये थे और इसलिये उन्हें पीछे हटने का फैसला किया. श्रीलंकाई टीम ने ही मैदान छोड़कर भागने का फैसला किया.’’
चौहान ने हर्स्ट को दोषी ठहराते हुए कहा कि मैच रैफरी ने मुकाबले को रद्द कर गलती की. उन्होंने कहा, ‘‘इस विवाद के लिये खेल से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को दोषी ठहराना चाहिए, इसमें मैच रैफरी भी शामिल हैं. मुझे नहीं लगता कि अगर यह मैच ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच होता तो इसे रद्द किया जाता. अगर पिच खेलने के लिये खतरनाक थी तो मैच को पांच ओवर के अंदर ही रद्द कर देना चाहिए था, इसे 24 ओवर तक नहीं चलने दिया जाता.’’
उन्होंने हैरत जतायी, ‘‘मैं इससे सहमत हूं कि यह अंतरराष्ट्रीय मैच के लिये आदर्श नहीं था, लेकिन यह खतरनाक भी नहीं थी और ऐसी भी नहीं थी कि इस पर खेला न जा सके. मैं भी इसी तरह की पिच और इससे भी खराब पिच पर खेल चुका हूं. मैंने कभी भी ऐसा नहीं सोचा कि मैच इतनी आसानी से रद्द किया जा सके.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने दूसरे विकेट की भी पेशकश की और कहा कि हमें एक घंटा दो और यह आपके लिये तैयार हो जायेगी.’’
चौहान ने कहा, ‘‘मैच को जारी रखना चाहिए था क्योंकि करीब 45000 लोग मैदान पर थे और दो-तीन करोड़ लोग टीवी सेट से चिपके थे. 130 में से केवल नौ गेंद धीमी या असमान उछालभरी थी, लेकिन इससे मैच को रद्द नहीं किया जा सकता. इस मैच को बचाने के लिये ईमानदार प्रयास किया जाना चाहिए था.’’ डीडीसीए अध्यक्ष अरुण जेटली के घर में हुई कार्यकारी बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए चौहान ने अपने रुख में नरमी बरती और उम्मीद जतायी कि आईसीसी इस बात को समझेगी कि यह सिर्फ ‘दुर्घटना’ है, जिसने बीसीसीआई से विवाद पर जवाब मांगा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरा भरोसा है कि आईसीसी यह जरूर महसूस करेगी कि यह एक गलती है, एक दुर्घटना है, जिसे जानबूझकर नहीं किया गया.’’
डीडीसीए अधिकारी ने पासा दलजीत सिंह की अगुवाई वाली बीसीसीआई की मैदान एवं पिच समिति के पाले में फेंक दिया, जिसे रविवार को बर्खास्त कर दिया गया था. चौहान ने कहा, ‘‘हम नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं और अपनी जिम्मेदारी से नहीं हटना चाहते, लेकिन पिच और मैदान दलजीत और उनकी समिति के निर्देशों के अनुसार बनायी गयी थी. हमने वही किया जो हमें कहा गया. वे विशेषज्ञ हैं, हम नहीं.’’ डीडीसीए के सचिव एस पी बसंल ने भी दोषारोपण के सिलसिले को बरकरार रखते हुए कहा कि दलजीत सिंह पर ‘अंधा विश्वास’ करना गलती थी. उन्होंने कहा, ‘‘हमने पिच की पूरी जिम्मेदारी दलजीत को सौंप दी थी, इसके बाद से इसकी जिम्मेदारी उनकी थी, हमारी नहीं. आप यह कह सकते हो कि हमने तैयारियों पर ध्यान नहीं दिया. उन पर अंधा विश्वास करना हमारी गलती थी.’’